अगर किसी देश का शासक कहे-"हमारे लिए जितनी महत्वपूर्ण लोगों की खुशहाली है उतना देश का सकल घरेलू उत्पाद(G.D.P.) नहीं है।"-----तो अजीब सा लगता है।हालाँकि कुछ अर्थशास्त्री भी सकल घरेलू उत्पाद से ज्यादा जनता कि खुशहाली को महत्व देते है. जैसे-हार्वे, लिविन्सतीन, हिंगिस आदि. ध्यान देने वाली बात ये है कि ये बात एक निरंकुश शासक कहता है.
और ज्यादा अजीब-सा लगता है किसी देश की जनता को ये लगता हो कि लोकतंत्र ली स्थापना से देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है, सत्ता से अछूते लोगो को सत्ता का स्वाद मिल जायेगा और वो सत्ता के लिए लड़ने लगेंगे।
बचपन में जब सुना कि भूटान में कोई सिनेमा नहीं है तो बड़ा अजीब सा लगता था कितना बेकवर्ड देश है। बाद में पता चला कि वहां पर एक सिनेमा बन गया है। २००५ के आस पास पता पता चला कि वहा के राजा ने बड़ी ही बहादुरी से वहा के उग्रवादियों को काबू में किया।
दरअसल इस देश के बारे में मुझे बहुत कम जानकारी है.......मुझे ही क्या ज्यादातर लोगों को कम ही जानकारी होगी. उसकी वजह ये है क्योंकि ये देश खबरों में कम ही रहता है.बेसिक जानकारी
# नाम का अर्थ-संस्कृत में -भू+उत्थान =ऊंची भूमि
अन्य मन्यता- भोग+अंत= तिब्बत का अंत
*यहाँ के मूल निवासी इसे द्रुक-युल यानी ड्रेगन का देश कहते है.
#मूल निवासी -गांपोक, जिनता सम्बन्ध तिब्बत से है.
उसके बाद नेपाली हिन्दुओं की बहुलता है.
उसके बाद शरपोच और ल्होतशांप आते है
*यहाँ के निवासियों को द्रुपका कहा जाता है
#राजधानी- थिम्पू
#आधिकारिक धर्म - बौध (महायान शाखा)
१७ वी सदी में बौध धर्म को अंगीकार किया.
#आधिकारिक भाषा -जोंगखा ( Dzonkha)
# मुद्रा - डुल्त्र्म
तथ्य
*१८६५ में भूटान और ब्रिटेन के बीच 'सिनचुल संधि' पर हस्ताक्षर किये गये. जिसमे तय किया गया कि भूटान के सीमावर्ती भूभाग के बदले वार्षिक अनुदान का करार किया गया.
*१९०७ में वर्तमान राजशा ही अंग्रेजों कृपा से स्थापित की गयी. १९१० में एक समझौता किया गया जिसके तहत ब्रिटेन भूटान के आन्तरिक मामलो में दखल नहीं देगा परन्तु उसकी विदेश नीति इंग्लेंड द्वारा तय की जाएगी
१९४७ ई० के बाद ये भूमिका भारत को को मिल गयी. १९४९ में भारत ने - जो इन्गलैंड के अधीन थी-साडी जमीन भूटान को लौटा दी
हिमालय कि गोद में बसे इसदेश को मैं अद्भुत ही कहूँगा. किसी देश में बिना संविधान के सफल शासन हो रहा हो( ध्यान दें वहां बोध मान्यताओ के अनुसार शासन किया जाता था) अब सुना है वहां संविधान तय कर दया गया है. सबसे बड़ी बात है उस देश के नागरिक संतुष्ट थे.
एक बात तो भूटान के लोगों ने ठीक सोची थी कि लोकतंत्र के आने के बाद वहां पर सत्ता के लिए संघर्ष शुरू हो जायेगा. सत्ता के लिए लोग कुछ भी करने लगेंगे. मुझे लगता है हमे थोडा सतर्क हो जान चाहिए. पहले सत्ता एक आदमी के पास केन्द्रित थी और वो भारत का समर्थक था- अब वो बिखर चुकी है इसका फायदा चीन जरूर उठाएगा और उन लोगों को सत्ता पर काबिज करने कि कोशिश करेगा जो भारत का विरोध करते है. वो भूटान में राजनैतिक उथल-पुथल भी मचाने कि कोशिश करेगा.ऐसा नहीं है कि वो भी समस्याओं से अछूता है जातिवाद को लेकर वहां भी दिक्कत है. वहाँ भी कई जातीय निवास करती है वो अपने बन्दे को सत्ता में लाने कि कोशिश जरूर करेगी. चीन उस फूट का फायदा जरूर उठाना चाहेगा. हो सकता है वो भूटान को भी पाकिस्तान और बांग्लादेश कि तरह इस्तेमाल करे.
और ज्यादा अजीब-सा लगता है किसी देश की जनता को ये लगता हो कि लोकतंत्र ली स्थापना से देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है, सत्ता से अछूते लोगो को सत्ता का स्वाद मिल जायेगा और वो सत्ता के लिए लड़ने लगेंगे।
बचपन में जब सुना कि भूटान में कोई सिनेमा नहीं है तो बड़ा अजीब सा लगता था कितना बेकवर्ड देश है। बाद में पता चला कि वहां पर एक सिनेमा बन गया है। २००५ के आस पास पता पता चला कि वहा के राजा ने बड़ी ही बहादुरी से वहा के उग्रवादियों को काबू में किया।
दरअसल इस देश के बारे में मुझे बहुत कम जानकारी है.......मुझे ही क्या ज्यादातर लोगों को कम ही जानकारी होगी. उसकी वजह ये है क्योंकि ये देश खबरों में कम ही रहता है.बेसिक जानकारी
# नाम का अर्थ-संस्कृत में -भू+उत्थान =ऊंची भूमि
अन्य मन्यता- भोग+अंत= तिब्बत का अंत
*यहाँ के मूल निवासी इसे द्रुक-युल यानी ड्रेगन का देश कहते है.
#मूल निवासी -गांपोक, जिनता सम्बन्ध तिब्बत से है.
उसके बाद नेपाली हिन्दुओं की बहुलता है.
उसके बाद शरपोच और ल्होतशांप आते है
*यहाँ के निवासियों को द्रुपका कहा जाता है
#राजधानी- थिम्पू
#आधिकारिक धर्म - बौध (महायान शाखा)
१७ वी सदी में बौध धर्म को अंगीकार किया.
#आधिकारिक भाषा -जोंगखा ( Dzonkha)
# मुद्रा - डुल्त्र्म
तथ्य
*१८६५ में भूटान और ब्रिटेन के बीच 'सिनचुल संधि' पर हस्ताक्षर किये गये. जिसमे तय किया गया कि भूटान के सीमावर्ती भूभाग के बदले वार्षिक अनुदान का करार किया गया.
*१९०७ में वर्तमान राजशा ही अंग्रेजों कृपा से स्थापित की गयी. १९१० में एक समझौता किया गया जिसके तहत ब्रिटेन भूटान के आन्तरिक मामलो में दखल नहीं देगा परन्तु उसकी विदेश नीति इंग्लेंड द्वारा तय की जाएगी
१९४७ ई० के बाद ये भूमिका भारत को को मिल गयी. १९४९ में भारत ने - जो इन्गलैंड के अधीन थी-साडी जमीन भूटान को लौटा दी
हिमालय कि गोद में बसे इसदेश को मैं अद्भुत ही कहूँगा. किसी देश में बिना संविधान के सफल शासन हो रहा हो( ध्यान दें वहां बोध मान्यताओ के अनुसार शासन किया जाता था) अब सुना है वहां संविधान तय कर दया गया है. सबसे बड़ी बात है उस देश के नागरिक संतुष्ट थे.
हमारे रिश्ते
सब जानते मैं एक कमीना इंसान हूँ हमेशा ही दिमाग से सोचता हूँ. मैं मानता हूँ कि भूटान में लोकतंत्र का आना सैधांतिक रूप से ठीक है मगर सोचने वाली बात ये है कि उसका हमे कितना फायदा होगा?एक बात तो भूटान के लोगों ने ठीक सोची थी कि लोकतंत्र के आने के बाद वहां पर सत्ता के लिए संघर्ष शुरू हो जायेगा. सत्ता के लिए लोग कुछ भी करने लगेंगे. मुझे लगता है हमे थोडा सतर्क हो जान चाहिए. पहले सत्ता एक आदमी के पास केन्द्रित थी और वो भारत का समर्थक था- अब वो बिखर चुकी है इसका फायदा चीन जरूर उठाएगा और उन लोगों को सत्ता पर काबिज करने कि कोशिश करेगा जो भारत का विरोध करते है. वो भूटान में राजनैतिक उथल-पुथल भी मचाने कि कोशिश करेगा.ऐसा नहीं है कि वो भी समस्याओं से अछूता है जातिवाद को लेकर वहां भी दिक्कत है. वहाँ भी कई जातीय निवास करती है वो अपने बन्दे को सत्ता में लाने कि कोशिश जरूर करेगी. चीन उस फूट का फायदा जरूर उठाना चाहेगा. हो सकता है वो भूटान को भी पाकिस्तान और बांग्लादेश कि तरह इस्तेमाल करे.
ज्य हो भूटान की। सचमुच अद्भुत देश है। मैं तो हरियाली, प्रदूषणहीनता, भ्रष्टाचारहीनता, संतोष, अंधविश्वासहीनता, भोगहीनता, सादगी, वैज्ञानिकता आदि को ही महत्व देता हूँ। जीडीपी तो छलावा मात्र है।
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