फिल्म ` मुगल- ऐ-आजम' के सीन को -जिसमे दिलीप कुमार मधुबाला के फेस पर नाजुक पंख फिरता है. उस सीन में दोनों को बेहद रोमांटिक expression निकालने थे के.आसिफ को पता था कि मधुबाला ऐसे सेन करने अपने पापा-अताउल्ला खान- के सामने सामने सहज नहीं हो पातीं थी. इसीलिए के. आसिफ ने एक आदमी को उसके पास भेजा. उसने अताउल्ला खान को दारु और जूए में उलझाए रखा, वो जानबूझकर हारता रहा. उसमे करीब २५ हजार रूपये खर्च हुए.
* एक पत्रिका को दिया साक्षात्कार में हंक रणदीप हुड्डा ने स्वीकार किया है कि वो आस्ट्रेलिया में एक लडकी के प्यार में पड़ा था, और गिगालो तक बनने के लिए तैयार हो गया था. उसका बयान-"आस्ट्रेलिया में ३-४ साल तक नायोबी नाम की लड़की से मेरा रिश्ता रहा ............मैंने तमाम तरह के ओड जोब्स किये डोर-टू-डोर सेल्स, बार टेंडर, टेक्सी चलाने का काम .......मैंने गिगोलो तक बनने कि कोशिश की जिसके तहत एजेंट ने मुझे एक जोड़े के पास जाने को कहा और मैं तुरंत चिल्ला पडा कि ये क्या बकवास कर रहे हो? फिर मैं उसे थैंक्यू वैरी मच कहकर वहां से चलता बना"
*१८९८ ई० में १२०० रूपये के बदले अंग्रेजों को सुतुनुती, कलिकता,और गोविंदपुर नामक तीन गांवों की जमींदारी मिल गई थी.
* एक पत्रिका को दिया साक्षात्कार में हंक रणदीप हुड्डा ने स्वीकार किया है कि वो आस्ट्रेलिया में एक लडकी के प्यार में पड़ा था, और गिगालो तक बनने के लिए तैयार हो गया था. उसका बयान-"आस्ट्रेलिया में ३-४ साल तक नायोबी नाम की लड़की से मेरा रिश्ता रहा ............मैंने तमाम तरह के ओड जोब्स किये डोर-टू-डोर सेल्स, बार टेंडर, टेक्सी चलाने का काम .......मैंने गिगोलो तक बनने कि कोशिश की जिसके तहत एजेंट ने मुझे एक जोड़े के पास जाने को कहा और मैं तुरंत चिल्ला पडा कि ये क्या बकवास कर रहे हो? फिर मैं उसे थैंक्यू वैरी मच कहकर वहां से चलता बना"
*१८९८ ई० में १२०० रूपये के बदले अंग्रेजों को सुतुनुती, कलिकता,और गोविंदपुर नामक तीन गांवों की जमींदारी मिल गई थी.
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