एक तरफ शोला,
एक तरफ शबाब।
देखा था एक ख्वाब,
जो यूँ ही टूट गया।
पाया इक साथी
इक पल में छूट गया।
दिल में छुपी थी जो हसरत-
वो दिल में ही रह गयी।
न हम कुछ कर पाई,
न वो कुछ कह गयी।
धक् से रह गया था दिल-
जब वो लगी थी जाने
मुसूकुरा रहे थे हम,
पर दिल की हालत हम ही जाने।
न करना मोहब्बत यारो,
नहीं तो पछताओगे।
इस शोला और शबाब के चक्कर में यूं ही फंस जाओगे