Monday, December 28, 2009

शोला और शबाब

एक तरफ शोला,

एक तरफ शबाब।

देखा था एक ख्वाब,

जो यूँ ही टूट गया।

पाया इक साथी

इक पल में छूट गया।

दिल में छुपी थी जो हसरत-

वो दिल में ही रह गयी।

न हम कुछ कर पाई,

न वो कुछ कह गयी।

धक् से रह गया था दिल-

जब वो लगी थी जाने

मुसूकुरा रहे थे हम,

पर दिल की हालत हम ही जाने।

न करना मोहब्बत यारो,

नहीं तो पछताओगे।

इस शोला और शबाब के चक्कर में यूं ही फंस जाओगे

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