Wednesday, February 17, 2010

प्यार का funda

सुना है प्यार काफी शानदार `शै` है ।ये हैवान को इन्सान बना देता है । प्यार इंसान को अमर बना देता है। प्यार जेवण को स्वर्ग बना देता है
पर मुझे कभी ऐसा कुछ नजर नहीं आया। वजह शायद ये हो ली मैं आज तक एक भी लड़की नहीं पटा सका। पटाना तो दूर तवज्जो तक हासिल नहीं कर सका । ये अलग बात है की कोशिश बहुत की । बार- बार नाकाम होकर भी आशा जरूर है शायद कभी न कभी चिता पर लेटने से चार पाँच मिनट पहले ही सही मुझ गधे को पंजीरी खाने को मिल ही जाये ।हा-हा-हा-।
चूँकि अपुन ने प्यार का स्वाद चखा नहीं सो अपुन की भेजे में प्यार का फंडा घुसा ही नहीं । इस बारे में अपुन ने सोचा तो प्यार की रूमानियत के पीछे पंगे, बदनामी, तकलीफे, ही नजर आयी या वक्ती झाग या कमीनापन या वो बेवकूफी जिसे दिल की सुनकर कर चुकने के बाद ........रिपीट - कर चुकने के बाद .............दिमाग की अत्कार सुनने को मिलती है। जेहन में बस उबलते पछतावे के लावे में आत्मा को जलना होता है।
* क्या प्यार हैवन को इंसान बना देता है ??????
अगर ऐसा है तो क्यों प्रपोजल स्वीकार न करने पर लड़कियों के चेहरे पर दिलजले तेज़ाब फेंक देते है ????? क्यों लोग प्यार में हत्याए कर देते है??????????????
*क्या प्यार जिन्दगी को जन्नत बना देता है ????
हमारे गाँव में एक लड़का था । घर का लाडला माँ बाप के खिलाफ लव मेरिज की बाध्य दिमागदार मन जाता था। शादी के बाद लाइफ का बैंड तो बजा ही जिन्दगी भर उसकी बीवी लडकियों को यही कहती रही की कोई उसकी तरह न करे।
*क्या प्यार इबादत है?????
शायद हो । सवाल ये है ----लड़के- लडकिय एक दूजे के प्यार को पाने के लिए माँ- बाप का प्यार क्यों भूल जाते है। माँ बाप की सालो की ममता पर उनका `प्यार` क्यों भारी पड़ता है??? क्या ये प्यार माँ-बाप की सालों की तपस्या से बड़ी चीज है???? और अगर है तो क्यों बाद में आशिक पछताते है?? क्यों २६% लव मेरिज करने वालो ने अपने विवाहेत्तर सम्बन्ध की को स्वीकार किया है ।ध्यान दें की बस स्वीकार किया है जिन्होंने नहीं माना वो जरूरी नहीं पाक-साफ़ हों । इसके अलावा एक बात मेरे में पैदा भी होती है । प्रेमियों बुरा मत मानना यारो-अगर कोई अपने पैदा करने वालों के लिए ही संवेदनशील नहीं तो वो अपने spouse के प्रति ईमानदार कैसे हो सकता है ?????? जिसने उन माँ-बाप की भावनाओ की कद्र नहीं की -जिन्होंने उन्हें पाला-पोसा, पढाया,उसकी केयर की- वो अपने spouse की फीलिंग्स की क्या क़द्र करेगा???? ये सोचकर मेरा दिमाग भन्ना गया । आत्मा ने कहा की प्यार नाम की कोई चीज दुनिया में होती ही नहीं ।
ये तो हुई वो बात जो मैंने देखा और सुना अब अपनी बखिया उधेड़ता हूँ । वैसे तो मैं बड़ा कमीना इंसान हूँ लेकिन हमेशा से कमीना इंसान नहीं था मुझे पहली बार जो लड़की पसंद आई या लिखू में खुद ही जिस लड़की की तरफ खीचा चला गया वो मेरे सामने सातवीं कक्षा में आई तब मैंने सोचा काश ये मेरी बहन होती ये न होती तो इसी के जैसी होती ...........सचमुच बड़ी cute लगती वो मुझे थी (यार अब भी काफी क्यूट है )और में हमेशा एक प्यारी सी बहन की ख्वाहिश करता था। और बाद में ............ । उसी की सहेली पर नजर टिकी और मैं उसपर लाइन मारने लगे ...सोरी `प्यार' करने लगा उसे। क्यों?? क्योंकि तब मैं अपनी लाइफ पार्टनर की कल्पना करने लगा गया था। मामला उसी तक नहीं टिका कईओं पर लाइन मारी। मार रहा हूँ। एक बुक स्टाल पर कभी कभार बैठकर किताबें चाटता हूँ हर सब्जेक्ट पर। वहां मुझसे अच्छे standerd ki बड़ी धांसू-धांसू लडकियां किताब लेने आती हैं। वहां जब किसी सी इंटरेक्ट करने का मोका आता है तो दिल में आवाज उठती है बस भैया ना कह दे। वैसे पता है की कोई भाव नहीं देगी कभी भी भाव नहीं देगी लेकिन `भैया' सुनकर दिलपर आरी सी चल्री है। क्यों .........ये भी कोई पूछने वाली बात है यार?????????
सवाल ये है की मैंने प्यार किसे किया -उसे जिसे अपनी बहन बनाना चाह ( हालांकि उसके लिए शायद मैं अब भी बुरा इसान होऊ ) या उसे जिसपर पहली बार लाइन मारी या उन्हें जिनपर लाइन मार रहा हूँ या उन्हें जिनपर लाइन मारने वाला हूँ क्योंकि तय है की कोई भाव नहीं देने वाली आगे तो बढ़ना ही पड़ेगा न आखिरकार।
वैसे भाइयों ऐसा नहीं है की प्यार करने वाले नाकाम ही होते है। हमरे एक प्राचार्य जी ने भी सुना है लव मेरिज की थी दोनों कामयाब भी थे और खुश भी थे। celebtities की लव मेरिज की खबर तो सब पढ़ते ही रहते है साथ ही रिश्ता टूटने की भी न्यूज़ आप तक आती रहती ही है काफी जोड़ियाँ कामयाब भी रही है। पर , अब भी मेरा मानना यही है की ये जोडियाँ इसलिए कामयाब नहीं की उन्होंने `प्यार' किया बल्कि इस वजह से कामयाब है की उन्होंने रिश्ते की कीमत को समझा और निभाया। उन्होंने `प्यार' के आसमान में परवाज तो भरी मगर रिश्ते की हकीकत की जमीन पर भी पैर टिकाये रखे।
दोस्तोंअब मैं `प्यार' के अपने funde पर आता हूँ । मैं हमेशा की तरह अब भी ताल ठोककर कहता `प्यार' नाम की कोई चीज इस दुनिया में नहीं होती। होता है या तो रिश्ता या फिर महज आकर्षण। हम अच्छी चीज की तरफ आकर्षित होते है और तब तक उसकी और आकर्षित रहते है जब तक वो अच्छी और आकर्षक बनी रहे । जबकि रिश्ता बस रिश्ता होताहै वो कभी ख़त्म नहीं होता कोई ताकत रिश्ते को मिटा नहीं सकती। अब ये हमारी सोचा है - हम आकर्षण के गुलाम बनते है या साश्वत रिश्ते को जीते है। ख़ुशी क्या है रेगिस्तान में भी लोग आशियाना बनाकर ख़ुशी को अपना गुलाम बना लेते है वहां हरियाली पैदा कर देते है वर्ना कश्मीर जैसी जन्नत को हम ही इंसानों ने आतंक से जहन्नुम बना दिया है वहां की वादिय तो बस खामोश है ।
हो सकता है मेरा funda आप लोगो को पसंद ना आये या हो सकता है की मैं भी किसी खास लड़की को बहुत importance देता होऊ उसी की वजह से और लड़कियों को पास ही न आने देता होऊ ताकि `उसके' लिए जगह खाली बनी रहे (यार इतना झूठ तो चल जाता है हा-हा-हा-हा) किन्तु ये तय है -अगर मजबूरी वश या दुर्घटना वश शादी की तो मेरी बीवी ही सबसे ज्यादा important होगी सबसे सेक्सी होगी नहीं होगी तो मैं बना दूंगा ।
वैसे एक बात पक्की है की जब तक शादी जैसी दुर्घटना मेरी लाइफ में नहीं घटती जब तक किसी हसीना ( हसीं तो पक्की होगी ही) मेरे साथ बंधकर नहीं फूटते तब तक मैं लाइन मरता रहूँगा । दिल लगाकर बिना spaceship के चाँद पर लैंड करने की कोशिश करता रहूँगा आखिरकार इन फालतू कामो का अपना ही मजा है। वैसे भी guys अगर हम लफंगे लड़कियां पर लाइन नहीं मारेंगे तो उन्हें अपने हसीं होने का अहसास कैसे होगा ?????? और क्या पता कोई हसीना बेवकूफ बनकर मुझे धाकड़ बंद मान ले और मेरे भाग्य का पिटारा खुल जाये। वैसे भी किसी को हसीं होने का अहसास कराना भी क्या कम धर्म-कर्म का काम है?????????? सो भाइयो अपुन का इरादा धर्म-कर्म से पीछे हटने का जरा भी नहीं है मैं तो करता रहूँगा आप बोलो आपका क्या इरादा है?????

2 comments:

  1. कली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
    धरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
    कलम के पुजारी अगर सो गये तो
    ये धन के पुजारी
    वतन बेंच देगें।


    होली की पूर्व संध्या पर मिलना खूब रहेगा .... कहें तो अपने संग ढोल-झाल भी ले आयेंगे ..... फागुन का रंग खूब जमेगा
    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में प्रोफेशन से मिशन की ओर बढ़ता "जनोक्ति परिवार "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ ,

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  2. Kya baat He Jaggu Bhai

    Kamal Kar Diya

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