Thursday, May 20, 2010

२६\११ का हीरो

तारीख-२६ नवम्बर २००८।
दस आतंकवादी समुन्द्र समा की चोकसी को भेदकर मुंबई के पार्क कफ परेड के सामने भंडारकर मच्छीमार कालोनी पहुंचे। ११ A.K.-47, 834 A.K.-47 कारतूस ६५ मैगजीन, १० पिस्तोल, २१ मैगजीन, ९५ कारतूस, ९ हथगोले २४ किलो RDX से लैस। एक चुस्त अचूक कुशल और जटिल योद्धिक कार्रवाही के लिए पूरी तरह तैयार।
वहाँ से वो जब अपना ख़ूनी तांडव शुरू करने के लिए निकले तो पूरी मुंबई ही नहीं, पूरा देश क्या पूरी दुनिया हिल गयी। शहर में मझगाँव डाकयार्ड और विले पार्ले इस में धमाका किया गया।इस पूरी कार्रवाही में १७३ लोग मरे जिसमे १०० भारतीय थे बाकि विदेशी थे, तकरीबन ३०८ लोग घायल हो गए। तारीफ़-ऐ-काबिल होसला हमारे जवानों ने भी दिखाया और बड़ी तेजी के साथ उस स्तिथि पर काबू पा लिया।
अगर इस हमले की समीक्षा की जाये तो साफ समझ में आता है कि ये एक फिदाइन हमला था उन दस लोगों का मकसद का इंडिया में आकर तबाही मचाना था तब ताका तबाही मचाते रहना था जब तक वो मर न जाएँ। वेसे इस सच को कसाब भी स्वीकार कर चूका है। ............ उनका मकसद था विदेशों में इंडिया कि छवि को धूमिल करना-ताकि वो इंडिया आने से, यहाँ व्यापार करने से डरें -जिससे इंडिया के पर्यटन और अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचे।इसीलिए उन लोगों ने विदेशियों को चुन-चुनकर मारा, ये कहकर मारा कि इंडिया अब उनके लिए सुरक्चित नहीं है। उनका मकसद सिर्फ तबाही मचाना ही नहीं था बल्कि लम्बे समय तक तबाही मचाना था ताकि वो मीडिया में छाए रहें और लोगों के दिलों में ज्यादा से ज्यादा डर पैदा हो। सच तो ये है कि वो अपने मकसद में काफ्ही हद तक कामयाब भी रहे थे।
सब जानते हैं की उसके बाद इंडिया के पर्यटन को कितना बड़ा धक्का लगा। दूसरे- जिस कदर इंडिया की प्लितिच्स में उथल पुथल मची थी ये सब जानते है। सबसे बड़ी बात ये है कि वो दस के दस हीरो बन चुके है। कैसे?????????
चलिए इस घटना को दूसरे नजरिये से देखते है। ........... दस `जांबाज' फिदाइन इंडिया कि सुरक्षा व्यवस्था को तोड़कर इंडिया की आर्थिक राजधानी में पहुंचे और वहां तबाही मचानी शुरू कर दी।जांबाजों ने ६० घंटों तक शहर की पुलिस और इंडिया की फोज को धता बताई और लगातार क़त्ल-ऐ-आम मचाते रहे। उन जाबांजो को काबू में करने लिए इंडिया की फोज को अपनी सबसे बेहतरीन टुकड़ी को लगाना पडा तब भी वो उन पर ६० घंटे तक भारी पड़े। उन्होंने सारे देश में दहशत की लहार पैदा कर दी। उन सबने अपने इस मिशन के लिए अपनी अपनी जान दे दी बस एक जांबाज जिन्दा बचा- वो जांबाज है आमिर अकमल कसाब। जिसकी सुरक्षा के लिए इंडियन सरकार २०० करोड़ रूपये हर महीने खर्च करती है.............ये सब जानकर कट्टरपंथी समुदाय के लोगों के लिए कसाब का कदकितना ऊंचा हो गया होगा-क्या ये किसी ने सोचा है??????? शायद लोग भूल गए कि ज्यादातर लोग उसकी ओर आकर्षित नहीं होते जो अच्छा काम करता है बल्कि उसकी ओर आकर्षित होते हैं जो बड़ा काम करता है। अपनेलिए नए फिदायीन तईय्यार करने के लिए हमारे दुश्मनों को कितना बड़ा सहारा मिला है शायद ही किसी ने सोचाहो। ये सब जानकार जाने कितने मासूम लड़के कसाब बनना चाहेंगे ताकि उन्हें भी इतिहास में जगह मिले ओरउन्हें जन्नत नसीब हो।
हमारा महान मीडिया भी उनके कारनामे को लगातार दिखता रहा। लोगों के आंसू देखकर पकिस्तान में बैठे उनलोगों कि मुस्कान के बारे में किसी ने नहीं सोचा जो हिन्दुस्तानियों को रोता हुआ देखना चाहते है। मैं तो कहता हूँ येबताना ही नहीं चाहिए था कि वो कोण थे। कुछ पागलों ने मुंबई में कत्लेआम मचाया ओर वो मारे गए या पकडेगए। जो पकड़ा गया उससे सब उगलवाओ और एक्शन लो। ये तो पक्की बात है अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में जाकर कोईफायदा नहीं होने वाला है। कश्मीर मुद्दा लेजाकर इंडिया देख चुका ही है।
अबकी स्थिति देखो सजा को सुनाने से पहले कसाब कितना नोर्मल सब जानते है। वो नोर्मल क्यों था क्योकि उसेपता था कि उसे मौत कि सजा मुश्किल होगी। उसे इतना यकीन क्यों था क्योकि वो जानता था कि इंडिया काक़ानून कितना लचीला है। प्लस उसके सपोर्ट में यहाँ भी लोग मौजूद है।
खैर उसे सजा तो हो गई है पर उसे फंसी पर लटकाया कब जायेगा लटकाया जायेगा भी या उसे भी माफ़ कर दियाजाएगा या उसका भी मामला राष्ट्रपति जी कि अदालत में पेंडिंग पड़ा रहेगा???? वैसे अब पाकिस्तान केस कोअंतर्राष्टीय कोर्ट में ले जा रहा है। वहां की होगा। जब अमेरिका सद्दाम को तय तारीख से पहले फांसी पर लटकासकता है तो हम क्यों कायदों का राग अलाप रहे है। लगाओ उसे फांसी-इन्तजार किस बात का है????? हम यानहीं कर सकते देश तबाह हो जाये हम कायदों से नहीं डिगेंगे। कायदे का इस्तेमाल करके ये शैतान भले ही हीरो बनजाये। भले ही मरने वालों के परिवार के लोग खून के आंसू बहते रहे ........पर कायदों से नहीं डिगेंगे क्यों डिगें भैयाहम तो अहिंसावादी है। एक थप्पड़ खाकर दूसरा गाल आगे करने वाले बापू की औलाद है।
कुछ भी हो कसाब को सजा मिले ( जो अभी अनिश्चित है ) या न मिले - वो जेहाद जैसे पवित्र नाम पर खून बहानेवालो के लिए हीरो बन चुका है। आखिर एक देश को दहला देने वाले लोगों के ग्रुप का इकलोता जिन्दा बंदा है। उसकी सुरक्षा के लिए २०० करोड रूपये महीने खर्च होते है। मीडिया उसे प्रचार दे ही चुका है सरकार सजा देने मेंसक्षम नजर नहीं आ रही।

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