Tuesday, May 12, 2015

युथ आइकॉन स्नेहा ठक्कर

उसने मात्र दो कम्प्यूटर्स से काम शुरू किया था और अब सालाना करोड़ों रूपये का व्यापार कर रही है।  उसकी कंपनी ठक्कर टेक्नोलॉजीज वेब और मोबाइल्स एप्लीकेशन डेवलपमेंट कंपनी  है - जो एप्लीकेशन डेवलपमेंट के अलावा इंटरनेशनल कस्टमर्स को वेबसाइट डिजाइनिंग, मेंटेनेंस और मार्केटिंग के लिए टेलर्ड सॉल्यूशन्स उपलब्ध करवा रही है। 14 हजार से शुरू हुआ बिजनेस आज 5 मिलियन के सालाना टर्नओवर को छू चुका है।
  


     स्नेहा ठक्कर का जन्म जन्म ६ जुलाई १९८५ ई० अहमदाबाद के एक मध्यम वर्गीय काठियावाड़ी परिवार में हुआ। स्नेहा अपनी हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा श्री दक्शीणामूर्ती विनय मंदिर से पूरी की है- जो कि भावनगर में स्थित स्कूल है।बाद में स्नेहा ने २००६ ई० में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री विश्वकर्मा गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, गुजरात  विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
ग्रेजुएशन करने के बाद स्नेहा ने नौकरी कर ली।देखा जाये तो लाल फीताशाही  भारत की परमानेंट समस्या है।  सरकारी जॉब्स के साथ प्राइवेट जॉब्स में भी ये समस्या अपरोक्ष रूप से बनी हुई है।  जॉब  के दौरान स्नेहा को लगा कि यहां उसे  खुद को साबित करने का मौका नहीं मिल रहा था। उसे  आगे बढ़ने में मदद करने की बजाए सीनियर्स उसके  काम को प्रभावित कर रहे थे और राह में बाधाएं खड़ी कर रहे थे। इसी दौरान स्नेहा को महसूस हुआ कि बाजार में ऐसी कई सेवाओं की जरूरत है जिन्हें एक मौका मिलने पर वे पूरा कर सकती है।   सो स्नेहा ने खुद  वो सेवाएं उपलब्ध करवाने का फैसला कर लिया।  एंटरप्रेन्योरशिप के इस विचार के बारे में उन्होंने अपने पिता से बात की तो वे भी राजी हो गए। स्नेहा को अपने पिता से प्रोत्साहन मिला तो उन्होंने जॉब छोड़ अपने विचार  पर काम करना शुरू कर दिया।
जेब में अपनी बचत के १४  हजार रुपए, दो कम्प्यूटर और कुछ नया करने के इरादे के साथ महज २३  वर्ष की स्नेहा ने २००९ ई०  में अपने बिजनेस की नींव रखी और उसे नाम दिया ठक्कर टेक्नोलाॅजीज
अहमदाबाद स्थित यह कंपनी एक इंडिपेंडेंट वेब और मोबाइल एप्लीकेशन डेवलपमेंट कंपनी है। एप्लीकेशन डेवलपमेंट के अलावा यह कंपनी यूरोपअमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के इंटरनेशनल कस्टमर्स को कॉम्पोनेंट्समॉड्यूल्सटेम्प्लेट्स और प्लगइन्स को डेवलप करके वेबसाइट डिजाइनिंगमेंटेनेंस और मार्केटिंग के लिए टेलर्ड सॉल्यूशन्स भी उपलब्ध करवा रही है।
नोक डोकठक्कर टेक्नोलाॅजीज द्वारा बनाया गया  एक मोबाइल एप्प है  जिसके जरिए  उपयोगकर्ताओं को अपने  शहर या इलाके के डॉक्टरों का पता लगाने में मदद मिलती है। नोक डोक की सुविधाओ मे डॉक्टर  को खोजने की सुविधा ही उपलब्ध नहीं है, डॉक्टरों को रेटिंग दी जा सकती है, और अपॉइंटमेंट  बुकिंग भी आप अपने आप कर सकते हो। मजेदार बात यह है कि , मुफ्त में  एप्लिकेशन को डाउनलोड और उपयोग कीया जा सकता है। वर्तमान में एप्लिकेशन को भारत  के २८ से अधिक शहरों में से २५ से अधिक विशेषता वाले डॉक्टरों को शामिल किया  गया है । नए डॉक्टरों को नोक डोक मे जोड़ने के लिए ओर अपनी प्रोफाइल को बनाने या बदलने के लीए स्मार्टडोक नामक एप्प  का निर्माण किया गया है। स्मार्टडोक पर डॉक्टर रजिस्टर होने के बाद, यह स्वतः नोक डोक पर दिखाया  जायेगा।
 कंपनी अब  तक करीब 2,500 क्लाइंट्स को अपनी सेवाएं प्रदान करने के साथ ही कंपनी 5 मिलियन (50 लाख ) रुपए के सालाना टर्नओवर को प्राप्त कर चुकी है। भविष्य की योजना के बारे में स्नेहा बताती हैं -" अब तक हमारी  कंपनी विदेशी बाजार को अपनी सेवाएं प्रदान कर रही थी लेकिन अब जल्द ही हम भारतीय  बाजार में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।"
बिना तजुर्बे, बचत की छोटी सी राशि और शून्य पूंजी के साथ ठक्कर टेक्नोलॉजीज की शुरुआत स्नेहा के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। बिजनेस की पृष्ठभूमि होने के कारण कस्टमर्स को आकर्षित करने और उन्हें रोके रखने, कैश फ्लो पर निगरानी रखने, सही लोगों की टीम का निर्माण करने, बिजनेस की सही लोकेशन का निर्धारण करने और प्रतिस्पर्धा का सामना करने जैसी दिक्कतें भी स्नेहा को पेश आईं। एक वुमन एंटरप्रेन्योर के तौर पर खुद को स्थापित करना उनके लिए और भी मुश्किल था क्योंकि पुरुष एक महिला के साथ डील करने या बिजनेस करने में झिझकते हैं।
तरक्की की राह आसान नहीं थी, लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद स्नेहा आगे बढ़ती रहीं। अपने पेरेंट्स को हमेशा कड़ी मेहनत करते देखने वाली स्नेहा को इन मुश्किलों का सामना करने की ताकत उन्हीं से मिली है। वे हमेशा उन्हें अपने गोल्स पर फोकस करने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। इसके अलावा स्नेहा को यह अहसास भी प्रोत्साहन देता रहता है कि वे देश की आर्थिक तरक्की में अपना योगदान दे रही है और कई लोगों को रोजगार का जरिया भी।
एंटरप्रेन्योरशिप के अपने फैसले पर गर्व करते हुए वे एक मजेदार वाकया साझा करती हैं-"एक बिजनेस इवेंट में किसी ने मुझे पीछे से पुकारा, मैंने पलट कर देखा तो वे वही लोग थे जिन्होंने मेरी नौकरी के दौरान मेरे अस्तित्व को नजरअंदाज कर दिया था और मेरे टैलेंट पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया था। इस ईवेंट में ये लोग किसी कंपनी के कर्मचारियों के तौर पर शामिल थे जबकि मैं अपनी कंपनी का प्रतिनिधित्व कर रही थी।"
 कंपनी की शुरुआत के कुछ ही सालों बाद एंटरप्रेन्योर के तौर पर स्नेहा की प्रतिभा को पहचान मिलने लगी। २०१२ ई०  में उसे  बेस्ट यंग एंटरप्रेन्योर एएसडीएफ अवॉर्ड मिला। इसी वर्ष उसे  फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन एंटरप्रेन्योर द्वारा प्रियदर्शिनी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। इस अवॉर्ड के चयन के लिए उसे ५०  देशों की करीब ८००  महिलाओं में से चुना गया था।२०१३ ई०  में उसे  उद्गम का नारी शक्ति अवॉर्ड और बिजनेस में स्पेशल अचीवमेंट के लिए रघुवंशी अवॉर्ड प्रदान किया गया। २०१४ ई०  में भी यह सिलसिला जारी रहा और उसने गूगल वुमन टेकमेकर्स में शामिल १०  महिलाओं में जगह पाई।
व्यापार करने के अलावा, वह भी समाज के प्रति दायित्व भी भलीभाती निभना जानती है। वह भाषण और सेमिनार के द्वारा उभरते उद्यमियों को प्रेरित करती है।I . I . M .  अहमदाबाद, जी एल एस, आइक्रीएट, गारडी विद्यापीठ, गूगल डेवलपर समूह, स्टार्टअप शनिवार आदि के जरीये वे उद्यमियों को प्रेरित करती हे। उनकी यह क्षमता को ध्यान मे रखते हुए zee T . V . - (एक अग्रणी व्यापार समाचार चैनल)- ने उसे  स्टर्टअप्स के लिए अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए एक पेनलीस्ट के रूप में उसे आमंत्रित किया गया था।
स्नेहा ठक्कर की शादी क्रुनाल ठक्कर हुइ है, और यह युगल गुजरात  में रहते हैं।

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