Thursday, May 7, 2015

वो सबसे बेहतर है

उसमे कोई टशन नहीं। मीडिया की सुर्ख़ियों में आती है तो सिर्फ अपने काम की बदौलत।उसने दिखा दिया कि कामयाबी को हासिल करके कितनी आसानी से विनम्र बनकर रहा जा सकता है। उनका परिवार साईं बाबा को बड़ा मानता है इसीलिए उसका नाम साईं  के नाम से बना है शायद इसी वजह से वो कामयाबी के बाद भी इतनी शांत है।   
    
     साइना नेहवाल भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। अपनी अथक मेहनत और लगन के बल पर ये दुनिया की शीर्ष वरीयता खिलाडी हैं तथा इस मुकाम तक पहुँचने वाली वे प्रथम भारतीय महिला हैं।  साइना ने इतिहास रचते हुए २०१२ ई० में लंदन ओलंपिक में  बैडमिंटन की महिला एकल स्पर्धा में ब्रॉन्ज़ मेडल हासिल किया। बैडमिंटन में ये सम्मान पाने वाली वो भारत की पहली खिलाडी हैं।  २००८ ई०  में बीजिंग में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों खेलों मे भी वो क्वार्टर फाइनल तक पहुँची थी। वह BWF world junior championship जीतने वाली पहली भारतीय हैं।
साइना भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित हो चुकीं हैं।
       साइना का जन्म १७ मार्च १९९०ई० को हरियाणा के हिसार  के एक जाट परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम डॉ॰ हरवीर सिंह नेहवाल और माता का नाम उषा नेहवाल है।साइना के पिता डॉ.  हरवीर सिंह नेहवाल तिलहन अनुसंधान महानिदेशालय में वैज्ञानिक हैं और बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं। सायना ने शुरुआती ट्रेंनिंग हैदराबाद  के लाल बहादुर स्टेडियम में कोच नानी प्रसाद से हासिल की। माता-पि‍ता दोनो के बैडमिंटन खि‍लाड़ी होने के कारण सायना का बैडमिंटन की ओर रुझान शुरु से ही था। साइना ने ८ साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। पि‍ता हरवीर सिंह ने बेटी की रुचि को देखते हुए उसे पूरा सहयोग और प्रोत्‍साहन दि‍या।
२००६ ई० में, साइना  अंडर १९ राष्ट्रीय चैंपियन बनी और दो बार प्रतिष्ठित `एशियन सैटेलाइट बैडमिंटन टूर्नामेंट' जीतकर इतिहास बनाया। वह ऐसा करने वाली पहली खिलाड़ी बनी।२००६ ई० में वह एक 4 स्टार टूर्नामेंट, फिलीपींस ओपन जीतने वाली दूसरे भारतीय महिला बनीं और तभी से वह वैश्विक परिदृश्य पर छा गयीं। ८६वें रैंक वाली सायना ने टूर्नामेंट में प्रवेश कर, खिताब के लिए मलेशिया की जूलिया वोंग पेई जियान को हराने से पहले दुनिया की नंबर चार जू हुआवे और कई शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ियों को बीट करती चली गयी। उसी वर्ष सायना टॉप रैंक चीनी खिलाडी वांग यिहान के खिलाफ एक कठिन लड़ाई लड़ी। तब साइना को हार का मुंह देखना पड़ा और 2006 BWF world junior championship की उपविजेता बनीं। वह नौवीं रैंक प्राप्त जापानी सायाका सातो को 21-9 21-18 हरा कर २००८  विश्व कनिष्ठ बैडमिंटन प्रतियोगिता जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।
एक बेहद ही रोमांचक तीन गेम के मुकाबले में 4rth रैंक विश्व की पाँचवीं श्रेष्ठ खिलाडी हॉंग-कॉंग  की वाँग चैन को हराकर ओलंपिक खेल के क़्वार्टर फाइनल में पहुचने वाली वो प्रथम भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाडी बन गयीं। क़्वार्टर फाइनल में वह १६वीं रैंक प्राप्त मारिया क्रिस्टीना युलिआंती से एक बेहद कडे मुकाबले में हार गयीं। सितम्बर २००८ ई० में उन्होंने मलेशिया की लीडिया चिया ली या को 218 2119 से हराकर योनेक्स चाइनीज़ ताइपे ओपन का खिताब जीता।साइना को २००८ ई० में मोस्ट प्रॉमिसिंग प्लेयर का खिताब दिया गया। इसके बाद दिसम्बर २००८ ई०  में वह विश्व सुपर सीरीज़ के सेमीफाइनल तक पहुँच गयीं।

२१ जून २००९ को इंडोनेशिया ओपन जीतकर वह विश्व की सबसे प्रतिष्ठित BWF super series जीतने वाली पहली महिला भारतीय  खिलाडी बन गयीं।उन्होंने फाइनल में चीन की वांग लिन को १२-२१, २१-१८, २१-९ से हराया। 
२०१० ई० दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल में उन्होंने एकल स्वर्ण पदक हासिल किया | साथ उन्ही राष्ट्रमंडल में साइना ने डबल्स में भी  स्वर्ण पदक जीता। 
वर्ष 2015 में नई दिल्ली को योनेक्स सनराइज इंडिया ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में विश्व चैम्पियन जापान की युई हाशिमोतो को 44 मिनट में 21-15,21-11 से हराने के साथ ही दुनिया की शीर्ष वरीय खिलाड़ी बनी और फाइनल मैच में थाईलैंड की रत्चानोक इंतानोन को हराकर 29 मार्च 2015 को योनेक्स सनराइज इंडिया ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट की महिला एकल ख़िताब की विजेता बनीं।
अप्रैल २०१५ ई० में आधिकारिक रूप से उनकी विश्व रैंकिंग १ घोषित की गई। इस मुकाम तक पहुँचने वाली वे प्रथम भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।
   आज दुनिया की रैंक १ खिलाडी बनने के बाद भी  साइना का ध्यान अब भी बस खेल पर ही बना हुआ है। वो अपने खेल के निखार के पीछे अपने माता-पिता  साथ अपने कोच पुलेला गोपीचंद को भी मानती है। नानी प्रसाद के बाद साइना ने गोपीचंद से कोचिंग लेनी शुरू की।  गोपीचंद को  जिंदगी बदले वाला मन चुकी है।बीजंग खेलों में कोई माडल न जीत पाने के कारण वो निराश रहने लगी थी तब गोपीचंद ने ही उसे मोटीवेट किया।   
 एक इंटरव्यू में उसने माना है -"गोपी सर ने मुझे जिंदगी बदलने की सलाह दी थी।  गोपी सर ने बीजिंग खेलों में हाथ लगी निराशा के बाद उन्होंने सवाल किया था, ‘मुझे बताओ कि कौन सा खिलाड़ी ऐसा है, जो कभी हारा नहीं? मोहम्मद अली, स्टेफी ग्राफऔर रोजर फेडरर जैसे दिग्गज खिलाड़ी भी हारे हैं। तुम इनसे प्रेरणा ले सकती हो।इसी सलाह ने मुझमें फिर से ऊपर उठने का जज्बा भरा और इसका नतीजा सबके सामने है। इसके अलावा मेरे दिल में यह ख्वाहिश बाकी थी कि मुझे अगले ओलंपिक खेलों में देश के लिए मेडल जीतना है। इस बार मेडल लाने का इरादा और पक्का है। इस जज्बे ने निराशा को काफी हद तक दूर किया।"
  साइना को भारत के खिलाड़ियां में प्रकाश पादुकोण पसंद है जो बड़ी मुश्किल से नेगेटिव पॉइंट दिया करते थे। वो आज भी जी तोड़ म्हणत अपने खेल में कर रही है।  वो सुबह ६ बजे ट्रेनिंग के लिए निकल जाती है शाम तक ट्रेनिंग  करती है। उस न फिल्म देखने का शौक है न कोई सीरियल देखने का।  वो सन्डे को थोड़ी सी फ्री रह पति है तो घर में अपने परिवार के लोगों के  साथ रहना पसंद है। वो स्पोर्ट्स चैनल देखना पसंद करती है; जिससे सारा तनाव पल में दूर हो जाता है। खेलों में सबसे ज्यादा बैडमिंटन और टेनिस देखना पसंद करती है जब कभी टेंशन में होती है; तो अकेले बैठकर पुराने मैच देखने से उसका मूड अच्छा हो जाता है।
उसका खेल मानो उसकी रगो मे बसा है तभी उसने दुनिया में पहली रैंक हासिल कर ली है। वो अपने खेल को ही सब कुछ मानती है तभी वो  बेहतर बन सकी है।  

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