Monday, December 28, 2009

शोला और शबाब

एक तरफ शोला,

एक तरफ शबाब।

देखा था एक ख्वाब,

जो यूँ ही टूट गया।

पाया इक साथी

इक पल में छूट गया।

दिल में छुपी थी जो हसरत-

वो दिल में ही रह गयी।

न हम कुछ कर पाई,

न वो कुछ कह गयी।

धक् से रह गया था दिल-

जब वो लगी थी जाने

मुसूकुरा रहे थे हम,

पर दिल की हालत हम ही जाने।

न करना मोहब्बत यारो,

नहीं तो पछताओगे।

इस शोला और शबाब के चक्कर में यूं ही फंस जाओगे

Saturday, December 26, 2009

*वो कंगन की खन-खन,

वो पायल की छन-छन,

और साथ में उसका मुस्काना,

आंचल को दबाकर दांतों में-

याद आता है उसका शर्माना।

*देखा है लोगों को इकरार करते हुए,

काँटों की सेज पर भी प्यार करते हुए,

कभी तो उनको हमारी याद सताएगी,

किसी मोड़ पर मिलेंगे वो हमें इंतजार करते हुए.

Thursday, December 17, 2009

शायरी

ले छोड़कर तेरा दामन हम आगे को चल दिए,
कोई दामिनी ही सही, मेरा आशियाना रोशन तो बनाएगी