Wednesday, March 31, 2010

some facts 1

*इंडिया १५ अगस्त को आजाद हुआ था लेकिन उसे united national organigation ka member 30-10 1945 को बना लिया गया था
मेरी समझ में नहीं आ रह की अगर ये सच है तो ३०-१०-१९४५ इंडिया को एक आजाद देश का दर्जा मिल गया होगा- तो कांग्रेस देश को आजाद करने का क्रेडिट क्यों लेती है??????
*आधुनिक जासूसी के पितामह wilhelm johann kark eduard stieber जो बिस्मार्क का मुख्य जासूस था जब १८९२ में मरा था तो यूरोप के तमाम सामंत उसकी अंतिम यात्रा में शामिल होने आये थे। इसलिए नहीं की वो उसे बहुत प्यार करते थे बल्कि इसलिए क्योंकि वो खुद देखना चाहए थे की क्या वो सचमुच ही मर गया है या मरने का ड्रामा कर रहा है।
*लेखक गुरुदत्त ने ५५ साल की उम्र में लेखन कार्य शुरू किया था।
*एक magazine ने हाल ही में रिपोर्ट पुब्लिश की है जिसमे बताया गया है की बिहार में कई जगहों पर लड़की वाले दहेज़ से बचने के लिए जबरन लडको का अपहरण करके बन्दूक की नोक पर उनकी शादी अपनी लड़की से करवा रहे है।
*james bond 007 के लेखक Ian Flaming खुद वास्तव में ब्रिटिश नोसेना के ख़ुफ़िया विभाग में जासूस थे। उन्होंने हिटलर के दाहिने हाथ कहे जाने वाले जर्मनी के डेपुटी फ्यूहर को डिफेक्ट करने पर मजबूर कर दिया था।
=>डिफेक्ट का मतलब गद्दारी करके दुश्मन के खेमे में शामिल हो जाना होता है

Saturday, March 27, 2010

सरकार बजट और हम

ये पोस्ट जरा देर से लिख रहा हूँ उसकी कई वजह है। पहली वजह तो यही है की इस मुद्दे पर लिखने के लिए सब कुछ बड़ी ही सावधानी से समझना था मेरे लिए तो बात को समझना ही मुश्किल काम है,बजट जैसी चीज को समझना और भी मुश्किल। ऊपर से मैं कोई नेता भी नहीं जो वोट बैंक के लिए किसी भी मुद्दे को पकड़ कर बयान दे डालूं। ऊपर से नेट पर स्पीड की प्रॉब्लम थी कई बार पोस्ट को टाइप करने का इरादा बीच में ही छोड़कर जाना पड़ा। एक और वजह मेरी समझ में ये न आना था की किस तरह इस बोरिंग टॉपिक को इंटरेस्टिंग बनाकर लिखा जाये।
हाँ जी तो शुरू करें। सब जानते थे की बजट अच्छा ही होगा आखिरकार कांग्रेस के संकट मोचक श्री श्री श्री प्रणव मुकर्जी साहब ने बनाया है। उनकी स्मार्टनेस पर कोई शक कर सकता है भला भैया अपने कई दशक के राजनीतिक जीवन में चाचा अब जाकर जंगीपुर से लोकसभा चुनाव जीत सके है मगर इंदिरा जी तक उनके हर बार चुनाव हार जाने के बावजूद उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल करके रक्ति थी मात्र उनकी स्मार्टनेस के के कारण। सोनिया जी ने उन्हें वित्त मंत्रालय गिफ्ट किया है जो की उनकी काम करने के लिए पसंदीदा जगह है। तो भैया बजट तो अच्छा बनना ही था बना भी विरोघियों के अलावा सबने अच्छा बताया भी। वैसे भी कोई खास बड़ी समस्या इस बार थी भी नहीं। न तो चुनाव पास थे जो लोगों को वोट के लिए कोई लोलीपोप देनी होती। मंदी फिलहाल गुजर चुकी है। बस तीन ही problems मुकर्जी चाचा जी के सामने थीं।१ -बजट घाटा कम करना २-देश के विकास को गति देना ३-महंगाई को काबू करना। मुकर्जी चाचा का कहना है की वो घाटा पिछली बार के घाटे ६।९% से कम करके ५.५% पर लेकर आयेगे। ज्यादा दिक्कत वाली बात नहीं थी वजह इस बार की सरकार की अलग से होने वाली बचत और कमाई पर नजर डालने पर अपने आप समझ में आ जाएगी * विनिवेश से कमाई - १५००० करोड़ रूपये *3G की नीलामी से कमाई - ३५००० करोड़ रूपये *ऋण माफ़ी योंजा के खात्मे से हुई बचत - १५००० करोड़ रूपये *पेट्रोल उत्पादों की सब्सिडी जारी न करने से बचत - १०००० करोड़ रूपये *वेतन आयोग का बकाया न चुकाने से बचत - २०००० करोड़ ।रुपये कुल बचत - ९५००० करोड़ रूपये कुल G. D. P. -69.45 लाख करोड़ रूपये यानी बचत =G.D.P. का १.४%। पिछला राजकोषीय घाटा G।D.P. का ६.९%था सो इस बार घाटा रहने की उम्मीद है ६.९%-१.४%=५.५%. भैया जी मुकर्जी चाचा ने ५.५% राजकोषीय घटा रखने का ही वादा तो किया है । मुश्किल ही क्या है ?????? इसके अतिरिक्त कर से होने वाली कमाई अलग है। ये भी जुदा बात है - इस समय कर्ज ३.८१ लाख करोड़ रूपये है जिसका ब्याज ही हर साल ३२७५० करोड़ रूपये जाता है जबकि पिछले तीन सालों में कर की बढ़ोतरी ही कुल २१% रही है कर्ज की बढ़ोतरी रही ५५%. खैर डाटा तो बहुत हैं उनको लिखकर आपको नहीं पकाऊंगा #दूसरा वादा मुकर्जी चाचा ने समग्र विकास का किया है यार विकास तो हो ही रहा है वो होता रहेगा ही सब जानते है उसके लिए सरकार को कोई खास कोशिश करने की जरूरत है ही नहीं सब जानते है नहीं। इस समय देश की सबसे बड़ी दिक्कत है महंगाई। अगर देख जाये महंगाई कोई हर क्षेत्र मैं है भी नहीं। मोबाइल, t.v. की कीमतें पिछले कई सालों से कम हुई है। मकान की जमीन की कीमत बढ़ी है जिसमे भू माफिया का बहुत बड़ा हाथ है। लोगों के पास पैसा भी बढ़ा है पैसे का फ्लो बढ़ने से कीमते भी बढती ही है। सबसे बड़ी दिक्कत है खाद्यान की कीमत का बढ़ना उसमे भी सबसे बड़ी कमी है हमारे बुनियादी ढाचे में। आप खुद ही सोचो कई सको से आलू की बम्पर पैदावार हो रही है उत्तर प्रदेश में किसानो को जमकर नुक्सान हुआ। एक साल अखबार में खबर आई की पटना में सब्जियां लोगों ने खरीदार न मिलने के कारण सडकों पर फेंकी थी। क्या सरे देश में सब्जियों की पैदावार बम्पर हुई थी ? अगर हुई थी तो सब्जियां महँगी क्यों है???? सच तो ये है की देश के पास न तो कोल्ड स्टोर्स हैं न ही प्रचुर मात्र में फ्रीजिंग वेंस हैं ताकिजल्दी खराब हो जाने वाली सब्जियों को दूर की मंडियों में पहुँचाया जा सके देश के टोटल कोल्ड स्टोरों में से ७५%-८०% स्टोरों को सिर्फ आलू के संग्रहण के लिए यूज किया जाता है। यही असली सर दर्द है सरकार के लिए जिससे निजात पाने की कोश्शिश इस बजट में की गयी है। #ने कोल्ड स्टोर,पोल्ट्री,मत्स्य पालन,समुद्री उत्पाद और मांस के कारोबार के विस्तार लिए या नयी इकाई की शुरुआत के लिए छूट के प्रावधान रखे है। #परियोजनाओं को मूल उत्पाद शुल्क के रूप में ५%कर देना होगा साथ ही एडिशनल ड्यूटी ऑफ़ कस्टम और स्पेशल एडिशनल ड्यूटी इ भी छूट के साथ इन परियोजनाओं को सस्ती उधारी की भी सविधा मिलेगी । #ट्रक रेफ्रिजरेशन को सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया गया है #कुछ कृषि उपकरणों का सीमा शुल्क ७.५%से कम करके ५% कर दिया गया है। गौरतलब है कोल्ड स्टोरेज को पिछले बजट में ही बुनियादी ढांचा का दर्जा दिया जा चुका है ताकि उन्हें आय कर में छूट मिल सके इससे अन्य कृषि उत्पादों के लिए स्टोर खोलने को बढ़ावा मिलेगा। सच तो ये है की ये एक दम से फायदा देने वाले कदम नहीं है इनका परिणाम आने में वक़्त लगेगा। हालाँकि देश की जनसँख्या बहुत है उसकी जरूरत पूरी करने के लिए काफी उत्पादन में भी बढ़ोतरी करने के साथ कला बाजारी को भी रोकना क्योंकि जब भी किसी चीज की कमी की खबर बाजार में आती है सेठ उसकी जमाखोरी शुरू कर देते है और कीमते बढ़ जाती है। खैर इस बारे में तो ज्यादतर जगहों पर पढ़ चुके होंगे मेरी तो ये ही समझ में नहीं आता की लोग बजट को इतना महत्त्व क्यों देते है ???? बजट है ही क्या बस साल भर का लेखा जोखा , और कुछ नहीं। हर बजट पर लोग इस बात पर निगाह गडाते है की उन्हें क्या मिला ??? यार कभी किसी ने ये सोचा है की उसने देश को क्या दिया ??? सब जानते है की ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार फैला पड़ा है .........सच तो ये है की अगर सरकार के १००% मदद गरीब को इमानदारी से मिले तो देश आज की तारिख में विकसित देशो की लाइन में खड़ा होता और देश को नयी पंचवर्षीय योजना की जरूरत न होती। देश को घाटे का बजट न बनाना पड़ता न ही देश पर आज ३.८१ लाख करोड़ रूपये कर्ज होता-अगर सब नागरिक इमानदारी से कर देते। आपको क्या लगता है इस मंदी से देश इतनी आसानी कैसे निकल गया ???? सरकार कितनो को मदद दे सकती है दरअसल लोगो के पास पैसा दबा पड़ा होगा तभी तो वो झटका झेल गए। सब जानते है यार सरकार की मशीनरी कितने तेजी से काम करती है। लोगों ने धर्म और समाज के नाम पर संश्थाये खोल रखी है ताकि कर न देना पड़े। भैया अगर कमी हो रही है लोग करोडो रूपये कम रहे है तो उनका उपभोग भी कर रहे है तो कर क्यों नहीं देते????? बजट आते ही पूरा व्यापारी वर्ग ये नजर टिकाकर बैठ जाता है की सरकार ने उन्हें क्या दिया। नेताओ के कहे पर लोग सडको पर उतर आते है की इस चीज में सब्सिडी क्यों नहीं दी उसमे सब्सिडी नहीं दी क्या किसी ने उस समय अपने गिरेबान में झांककर देखा है की वो देश दे लिए कितना इमानदार है ???? सरकार कहाँ से सब्सिडी देती है-जो टैक्स उसे मिलता है उसी से न ????? टैक्स कितने लोग इमानदारी से देते है???? अगर १०० रूपये सरकार किसी परियोजना को देती है तो कितने परियोजनाओ में लगते है सब जानते है।