Tuesday, November 23, 2010

कैसी उन्नति ??????????

कुछ दिन पहले मैने पेपर में कुछ लोगों द्वारा आत्महत्या की खबर पढ़ी. ये चीज पढ़कर मन में करूणा पैदा होती है पर मेरे मन में उलझन  पैदा हो गयी क्योंकि उन्होना जिस कर्ज की वजह से आत्महत्या  की थी वो बेहद कम था. वो भी MFI से लिया गया था.
=>बस्काए अलिया पर ४००० रूपये के कर्ज था जो उसने दो MFI कर्ज लिया था
=>अकबर पर मात्र १०००० का कर्ज था
=> के० रमेश पर १०००० का कर्ज था जो उसने भेंस खरीदने के लिए लिया था . उस लेख को पढ़कर  मेरे मन  मैं कई सवाल उठे. उस लेख में MFI`s की बखिया को उधेडा गया था. उनकी कमियों को सामने लाने की कोशिश की गयी थी. मेरे दिमाग में एक काफी बड़ा सवाल ये उठा कि क्या MFI  गलती थी?? उसके सिस्टम मा कोई गड़बड़ थी या उसके सिस्टम को गलत तरीके से चलाया गया था. मरना वालों की  आत्महत्या का कारण था कि वो अपने घर के सामान  की नीलामी नहीं देख सकते थे. मेरा सवाल ये है कि हमारे देश के एकोनोमिस्ट्स कहते फिर रहे है कि हमारे देश कि इकोनोमी दुनिया कि सबसे तेज उभरती हुई इकोनोमी है जो कि अगले कुछ सालों में दुनिया की  सिरमोर इकोनोमी होगी.ये वो ही देश है ना जो ९% व्रद्धी दर का दावा करता है. ये वो ही देश है ना जिसमे कहा जाता है कि दुनिया के सबसे ज्यादा डॉक्टर, इंजिनियर है. इस हाल में क्या  इंडिया दुनिया का सिरमोर बन सकेगा कि लोग  कुछ हजार के लिये आत्महत्या कर लें???????  

Monday, November 8, 2010

स्टुपिड होना भी बुरा नहीं

बड़ी अजीब सी घटना है जब मैंने अपने  चरित्र के खिलाफ काम किया. क्यों किया-अब तक मेरी समझ में नहीं आया. मैं आज तक हैरान हूँ कि मेरे जैसा कमीना बन्दा ऐसा कैसे कर गया?
उसे मैने दोनों बार सड़क पर देखा था. गजब का पीस है बॉस. ज्यादा लम्बी नहीं थी लेकिन गोरी-चिट्टी, स्लिम-ट्रिम, खूबसूरसत मासूम-सा चेहरा, सुतवां नाक, पतले गुलाबी होंठ,लम्बी गर्दन. सच कहूं तो पहली बार उसे मैंने नोटिस ही नहीं किया.
दरअसल मुझे तब टी.पी. नगर के बिजली घर में काम था.  मैं ओटो से  बागपत अड्डे पर उतरा और तो वो वहीँ पर खाड़ी थी मगर तब मैंने उसे ठीक से नोटिस नहीं किया.मैं कुछ देर के लिए पास ही किसी के पास गया और जब लौटा तो उसके पास से गुजरा तो उसे नोटिस किया. कुछ देर मैं क्रोस्सिंग पर रुका वो भी वहीँ खड़ी थी.अब जब मैं वहां खड़ा था तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि मैं उसे ना तकूँ . मैं भी तक रहा था और भी कई तक रहे थे. कुछ देर बाद एक सजीला युवक बाइक पर आया और वो हसीना बाइक पर सवार होकर चली गयी. चली क्या  गयी कईयों पर बिजलिया गिरा गयी उसका पता मुझेया उसके जारे ही चल गया. सबसे पहले रिक्सा वाले ने कमेन्ट पास किया-"देखा ये है आजकल के बालक. घर से पढने के लिए आते है और लाडलियों को घुमाते हैं"
मुझे हंसी आ गयी-"भाई वो वो उसकी कनपटी पर पिस्तोल रखकर तो नहीं ले जा रहा............वो  जा रही है इसीलिए वो ले जा रहा है.अगर हमारी शक्ल ठीक-ठाक होती तो और हमें कोई भाव देगी तो हम क्या मोका छोड़ देंगे"
उसी समय पीछे से तीन-चार बाइकों पर लडके सवार होकर आये. एक लड़का जो पहले से ही वहां पर उसकी ताक में खड़ा था उसने बड़े ही उत्तेजित भाव से बताया कि वो अमुक के साथ अभी-अभी बाइक पर गयी है. वो सब तुरंत  ही उस लड़के को साथ बाइक पर बैठकर  उसके पीछे चले गए.कुछ देर के बाद मैं भी अपना रास्ते हो लिया.मैं मुश्किल  से आधा किलोमीटर ही गया था मैंने उसे फिर देखा. उस बार मैं उस धांसू पीस को कैसे नोट नहीं करता मैना उसे गोली कि तरह पहचाना. वो बाइक के साथ हिप लगाकर खाड़ी थी.  मैं उसके पास से गुजरा और आगे चला गया. आगे जाकर मेर्स दिमाग में अचानक एक बात आई-`बालक पिट-पिटा ना जाएँ'. मैंने  उन्हें वार्न करने का फैसला कर लिया. मैं मुडना के लिया मुड़ा तो मेरे दिल में संका पैदा हुई-` कहीं सवरी बखेड़ा खड़ा ना कर दे'
मैं अपने रास्ते चल दिया. कुछ कदम चलने के बाद मेरे कदम फिर रुक गये. मैने कुछ देर सोचा. और- जो होगा देख जायेगा- वाला  इरादा बनाकर वापिस मुड़ा और वापिस चलकर उसके पास गया. उसके पास  जाकर उससे पुछा-` जो लड़का तुम्हरे साथ था वो कहाँ  है?'
` क्यों'-उसने पुछा.
` कुछ लड़के तुम्हारे पीछे लगे है'- मैंने बताया.
उसने पीछे स्थित ATM कि तरफ इशारा करके कहा-` उसके पीछे  लगे है?'
तब मैंने देखा. वो लड़का ATM के अंदर था . मैना कहा-` मुझ नहीं पता, पर टार्गेट तुम हो.................अगर कोई पंगा हो तो ध्यान रखना'
कहकर मैं रुका भी नहीं अपना रास्ते चल दिया.पीछे मुडकर उसकी रिअक्सन देखनी तक जरूरी नहीं समझी. 

मैं अब सोचता हूँ कि मैंने वो क्यों कर दिया. क्या इस वजह से कि वो बहुत खूबसूरत थी या मुझ कमीने के अंदर पहले वाला स्टुपिड -सा जोगेंद्र सलामत है ??????????? जिसने कभी भी कभी भी सही करने से पहले ये नहीं सोचा कि लोग क्या कहेंगे?
पता है जब कोई आपको ढक्कन कहे तो बुरा लगता है मगर तब कुछ भी सही कर डालने पर कभी भी पछतावा नहीं होता .................वैसे भी इतनी सेक्सी लड़की का भला करने कि कोशिश के बदले मा क्या पता वो इम्प्रेस हो जाये और मुझ जैसे गधे को भी पंजीरी खाने का मोका मिल जाये.........................हिहिहिही