Friday, June 4, 2010

सेक्स समाज और मीडिया

अभी नयी (मई के महीने की)` फेमिना' मैगजीन में तीन swinger couples के साक्षात्कार पढ़े- सच कहूँ तो मुझे कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि मेरी जानकारी में ये तत्थ्य है की ऐसे ऐब अब काफी चल रहे है। हालाँकि महिलाओ की मेग्जींस में सेक्स के टोपिक्स मिलना कोई नई बात नहीं है। हर मैगजीन में ये चल रहा है।
उदाहरण के लिए-
साथी मूड न होने का बहाना करे तो पूरी लाइट्स को बुझा दे व चुपके से न्यूड हो जाएँ या पारदर्शी वस्त्र पहन लें। उसके पास लेटकर ऐसी आवाजें निकालें जैसे आपको कोई प्रॉब्लम हो। साथ ही कोई पोर्न मूवी की सीडी लगा दें। जैसे ही वो लाईट ऑन करें तो वी.सी.डी. ऑन कर दें व उसे निमंत्रण दें.
गृहशोभा, अगस्त(द्वितीय) २००८
चेप्टर -१० लव गेम्स, पेज ३८-३९



ये तो कोई बड़ा उदाहरण नहीं है आप महिलाओं वाली मेग्ज़िन्स पढोआपको हर इशू में सेक्स से जुड़ा कोई न कोई चेप्टर जरूर मिलेगा।
हालांकि पढाई लिखाई के मामले में मेरा हाथ हमेश ही टाईट रहा है मगर थोडा बहुत कभी- कभार पढ़ भी लेता हूँ। चलिए मार्केट सर्वे देता हूँ। अब बात करते है दूसरी मेग्जिंस की- इंडिया टुडे, आउटलुक- साल में एक बार सेक्स सर्वे जरूर देती है। हरेक हेल्थ मेग्जिन में सेक्स के बारे एक चैप्टर जरूर होता है निरोग-धाम, निरोगी दुनिया जैसी मेग्जींस शादी के सीजन के शुरू होते ही एक सेक्स स्पेशल इशू जरूर निकालती है, उसकी कीमत भी ज्यादा रखती है, वो इशू हाथों हाथ बिकता भी है। मुझे अब तक कोई मैगजीन नजर ही नहीं आई जिसने सेक्स को न छुआ हो।हर प्रकाशक सेक्स के ऊपर किताब छापता है। जितना बड़ा प्रकाशक उतनी ही बोल्ड किताब। तकरीबन हर बुक स्टाल वाला सेक्स के ऊपर किताब रखता है। अगर बड़े लेवल का सेलर है तो आराम से `penthouse' ले लो बस आप विश्वास के आदमी होने चाहियों।
`cosmo' को पढो यार आपको कामसूत्र पढने की जरूरत ही नहीं है। उसका ` love nd lust' पढो। पार्टनर को खुश करने के सारे दांव पेंच आप सीख जाओगे। मजे की बात है साहित्यकार अपनी रचना में जनन अंगों का नाम तक लिख दे। तो बवाल मच जाये। समाज के ठेकेदार, महिला संगठन कार्यकर्त्ता आन्दोलन खडा कर दें मगर मुझे अभी तक ` cosmo' के खिलाफ-जिसमे ओरल सेक्स करने तक के तरीके बताये जाते है, किस जगह पर किस तरह किस आसन से सम्बन्ध बनाने चाहिए ,जिसमें लुब्रिकेंट्स को इस्तेमाल करने का तरीका बताया जाता है - आज तक कही आवाज उठी नजर नहीं आई। क्यों?? ये बात मेरी समझ में नहीं आई ।
अब सवाल ये है की वे सही है या गलत????


पता है लाइफ में किसी भी चीज की बुराई करना बड़ा आसान है मगर उस चीज की अच्छाई को समझकर उसका फायदा उठाना हर किसी के वश की बात नहीं है।
बात तब की है जब मैं १२वी क्लास में पढता था। तब मैं दिलजला टाइप का बंदा था। गंभीर रहता था। ये रोग मुझमे बचपन से ही था। अपने आप में मगन रहना। हालांकि अपने घर में और होस्टल रूम में प्रेंक्स किया करता था मगर बाहर चुप रहता था सचमुच मेरी गंभीरता मुझपर हावी सी होने लगी थी। दोस्त थे, मगर हर किसी के साथ मैं खुलकर बात नहीं करता था। तब मेरे एक टीचर ने मुझे मुझे सलाह दी कि मैं दोस्तों के बीच नोनवेज जोक्स शेयर किया करूं। मुझे लगा कि वो शख्स मुझे भटकाना चाहता है। मैने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। हकीकत ये भी है पागल तो था, स्ट्रेट फोरवर्ड भी था मगर वल्गैरिटी मेरी लाइफ में नहीं आई थी।फनी बात ये है जिसपर लाइन मारता था उसका नाम तक नहीं लेता था।
उसके बाद थोडा सा बड़ा हुआ व्यावसायिक राइटर बना तो हर चीज लिखनी पड़ी और मैने लिखी भी। वहां सब मुझसे काफी बड़े थे पब्लिशर के ऑफिस में बैठकर बातें होती थी तब बोल्ड बातें भी होती थीं। फिर अपने ही मूड से एक लव स्टोरी बेस्ड नोवेल लिखा। शादी के बाद के बेडरूम सीन्स में शैतानियों का डिस्क्रिप्शन किया......बिंदास किया और बाद में उसका सर्वे किया। उसका रेस्पोंस मेरे लिए हैरानी भरा था। उसे किसी ने भी गन्दा नहीं कहा। बल्कि मेरे प्रूफरीडर ने उसे घर ले जाकर अपने परिवार और दोस्तों को पढ़ाया। कुछ पत्र मेरे पास आये। मिस पारुल - जो अब शादीशुदा है शायद- उन्होंने मेरे भाव बढाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। तब मैने इस मुद्दे पर सोचना शुरू किया। नोवेल को दोबारा पढ़ा- तब मैंने समझा _१- मैंने जो लिखा था वो गलत नहीं था(ये मैं पहले ही जानता था) २-हर सीन में लोजिक था। ३- मेरा शब्दचयन सटीक था, मैने लिखा सबकुछ था मगर चीप कुछ भी नहीं था।४- सबसे बड़ी बात थी मेरे नायक ने जो किया शादी के बाद किया, प्यार के चक्कर में पड़कर काम से अपना फोकस नहीं खोया, परिवार के मूल्यों का पालन किया(यही वजह थी की एक त्यागी जी ने उसे प्रेरणादायक नोवेल कहा )।
अगर घ्यान से देखा जाये तो समाज सेक्स को गलत नहीं मानता। उदाहरण के लिए आप शादी की तमाम रस्मो की स्टडी कर लो, सब रस्मो के मतलब समझने पर आपकी समझमे आ जायेगा । शादी के बाद दम्पति को अलग रूम दे दिया जाता है जब जोड़ा उस कमरे में होता है तब घर का कोई भी बंदा उस कमरे में जाने की कोशिश तक नहीं करता अगर जोड़े में से किसी से काम भी होता है तो उसे आवाज देकर बाहर ही बुलाया जाता है या उन्हें अपनी आमद की बाहर से जानकारी देकर ही उनकी इजाजत लेकर रूम में जाया जाता है।

सवाल सेक्स को गलत माना क्यों जाता है ?????????
हमें इससे बचने के लिए क्यों कहा जाता है?????

सच ये है की शारीरिक सुख हासिल करना कोई गलत नहीं मानता मगर कोई भी माँ-बाप ये नहीं चाहते की उनका बच्चा पतन के रास्ते पर चले। हर काम का एक सही वक़्त होता है। ये शारीरिक सुख ही है जो दम्पति को करीब लाता है, उनके रिश्ते का बोंड मजबूत करता है। इसके बिना तो दम्पति केवल एक दूसरे को मजबूरी में झेलते हैं। हर आदमी जानता है कि ये लाइफ की जरूरत है और मानते भी हैं कि ये जिन्दगी के तनावपूर्ण पलों के लिए सबसेशानदार टोनिक है, और हर आदमी इसका इस्तेमाल करता है। लेकिन उन्हें ये भी पता है कि इस राह में कितनीफिसलन है एक बार गिरे कि जल्दी से उठने का मोका नहीं मिलता।
सच लिखूं तो मैं शारीरिक स्वच्छन्दता का समर्थक नहीं मैं नहीं कहता कि हमें भी स्वापिंग जैसे काम करने चाहियेंया शादी से पहले ही ये सुख हासिल करना चाहिए हजारो सालो से हमारे पुरखों ने जो नियम बनाए है उनमे कोई तोबात होगी ही जो वो इतने सालों से समाज में टिके हैं। समाज के नियम बनाने वालो को पता था कि इंसान किजरूरतें क्या है ये हम ही है जो या तो सही जानकारी नहीं रखते और रस्ते से भटक जाते है या जानबूझकर ही उनसही बातो कि गलत व्याख्या देकर उनका इस्तेमाल अपने लिए करते है।

मैंने इस समाज में एक अजीब सा रिवाज देखा है -जो पावरफुल है वो कुछ भी कर सकता है उसके ऐब उसके शोक कहलाते हैं। जो शर्मदार है वो बस सही गलत के बारे में ही सोचता रह जाता है और बेशर्म अपनी तमाम ख्वाहिशें पूरी कर लेते हैं। नियम तो उनके लिए बनते है जो उन्हें फोलो करते है या तोड़ने से डरते है या इस सुकून से जीना चाहते है कि उन्होंने जिन्दगी भर किसी को अपनी तरफ ऊँगली नहीं उठाने नहीं दी।ताक़तवर हमेशा नियम बनाता है या बदलता है।बेशर्म कोई नियम फोलो नहीं करता वो तो बस नियम तोड़ने के तरीकों के बारे में और तोड़ने के बाद बहानो के बारे में सोचते है न कि दुनिया वाले क्या कहेंगे???

पावरफुल के खिलाफ कभी आवाज नहीं निकलती निकलेगी भी कैसे नियम तो उसी ने बनाए होते है या जब भी उसेकुछ अपने खिलाफ नजर आता है तो वो नियम ही बदल देता है या बदलवा देता है।
अंत में बस एक बात लिखूंगा जिन्दगी में आप कुछ भी करो, बस एक बात याद रखना समाज आज आपका है कलआपके बच्चो का होगा आप इसे जैसे बदलोगे वैसा ही आपके बच्चों को मिलेगा। याद रखना बाबू - शेर भी बूढा होता है, आप भी बूढ़े होओगे, हो सकता है ऐब करके पतन से बच जाओ मगर जरूरी नहीं कि आपके बच्चे भी आपजितने ही स्मार्ट हों, जब आपके भी बच्चे पतन के रास्ते पर चलेंगे तो आप उन्हें कैसे रोकोगे????
मीडिया का काम आज कि तारीख में खबरे बेचना हो गया है। सब व्यापार कर रहे है रे मामू तेरे को खुद हीसमझदार बनने को मांगता है समझदार बनजा बच्चा वर्ना अपने बच्चो को कैसे समझदार बनाएगा????
समाज तेरा है सोच ले कल को तेरे बच्चे तेरे से ये न कहे -` डैड तूने अपुन को कैसा समाज दिया है कि मेरे बच्चे ही डवलप नहिऊ हो पा रहे है'

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