Tuesday, May 31, 2011

क्या पैसे से ही सब कुछ हो सकता है??????????

 बात परसों की है. मैं बड़े भाई की दूकान से घर वापिस आ रहा था. तेजगढ़ी पर मैं ऑटो स्टैंड पर पहुंचा और जब मैं तो लोगों को बड़ी उलझन में देखा. एक बूढ़े बाबा जी थे. वो बांह और घुटने में चोट खाए हुए थे. पता चला कि वो कहीं से दवाई लेकर आ रहे थे और दो जगहों पर गिर गये थे, उसी वजह से उन्हें चोट आई थी. वो ऑटो में तो बैठ चुके थे.लेकिन बात ये चल रही थी कि बाब जी को उनके घर कैसे भेजा जाये. एक कपल कि कोशिश था कि ऑटो वाला बाबा जी को उनके घर पर छोडकर आये-मर्द पैसे देने के लिए तैयार था.ऑटो वाला इसके लिए  तैयार नहीं था. बाबा जी ने बताया कि वो R.T.O. के पास कहीं रहते है.  फिर एक रिक्शा  वाले को रोका गया लेकिन उसने  भी उन्हें ले जाने से इन्कार कर दिया. वो थे भी काफी बूढ़े. अपनी उम्र  ९४ साल बता रहे थे. एक और लड़का की मदद करना चाहता था. वो भी रेकुएस्ट कर रहा था की ऑटो वा उन बाबा जी को उनके घर तक छोड़ आये. वो भी उसे पैसे देने की बात कर रहा था. मजे की बात है कि बाबा जी के साफ़-सफ्फाक सफ़ेद झक्क कपडे इस बात के लिए साफ़ इशारा  कर रहे थे कि वो किसी अच्छे घर से थे. उनको पैसे की नहीं सहारे की जरूरत थी. मुश्किल से १५-२० मिनट का समय देना था. खैर, एक बन्दे ने बाब जी को उनके घर ले  जाने की जिम्मेदारी  ली. उसके उस का इ कुल ही १८ रूपये और लगभग आधा घंटा खर्च हुआ.
 मुझे अजीब-सा लगा.क्या हर बार पैसे से ही मदद की जा सकती है?
एक इंसान प्यासा है वो नल तक नहीं जा सकता तो क्या पैसे उसकी प्यास बुझ सकती है?
क्या जरूरत के वक्त जरूरतमंद के लिये  थोडा सा टाइम खर्च नहीं किया जा सकता???