Wednesday, October 13, 2010

कल का खलनायक आज का नायक -चंगेज खान

इतिहास भी कमाल की चीज है. नायक को खलनायक बना देता है और खलनायक को नायक बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ता है .

अगर हम भारतीय पुराणिक साहित्य पर नजर डालें तो आपको पता चलेगा कि किस तरह चरित्र की इमेज के साथ खिलवाड़ किया गया. या कहें कि चरित्र को ही इस तरह पेश किया गया कि पाठक को चरित्र के रूबरू होते ही उससे नफरत होने लग जाये. उदाहरण के लिए रावण के चरित्र की बात करते है. वाल्मीकि की रामायण में रावण को एक बेहद खूबसूरत इंसान के रूप में चित्रित किया था. मगर तुलसीदास ने बेहद कुरूप चित्रित किया गया था. रावण का असली नाम कुछ और था.....मगर रामायण में में उसे रावण कहा गया. रावण यानी रुलाने वाला.उसके अलावा सूर्पनखा का मतलब है सूप जैसे नाखून है. कुम्भकर्ण का मतलब होता है कुम्भ के जैसे कान वाला.विभीषण यानि विभीषिका लाने वाला.
महाभारत के चरित्रों की बात करें तो सुयोधन का नाम दुर्योधन कर दिया गया. सुशासन को दुशासन कर दिया गया.सुशीला को दुशीला कर दिया गया.
कौन माँ बाप अपने बच्चों के नाम ऐसे रखेंगे जो सुनकर इंसान को नफरत पैदा होने लगती है. ये सब कथा के नायक के चरित्र को उभरने के लिए किया जाता है. साथ ही शुरू से ही ऐसा माहोल  तैयार किया जाता है कि पाठक के मन में शुरू से ही चरित्र के लिए नफरत होने लगे.और नाम से ही चरित्र  कि बुरी इमेज बन जाये.
ये तो हुई पुराण की बात एतिहासिक काव्य कहे जाने वाले काव्य `प्रथ्वीराज रासो' में तो इतिहास को ही बदल देने  की  कोशिश की गयी. इतिहास सम्मत है कि मोहम्मद गोरी कि हत्या पृथ्वीराज ने नहीं की थी. उसके ही सरदारों ने मुल्क लोटते समय रास्ते में कर दी थी.
इसके अलावा एक और महान विजेता है जिसे इतिहास में बदनाम किया गया. वो है चंगेज खान
इतिहास में जिसे सबसे दुर्दांत हत्यारा और बलात्कारी कहा गया.रक्त पिपासु कहा गया. ना केवल उसे बदनाम किया गया उसके महान कामों पर मिटा भी दिया गया, बल्कि उसकी निशानियों तक को मिटा दिया गया. द्यत्व्य है कि मंगोलिया को बसाने वाले की मात्र एक ही मूर्ती पूरे मंगोलिया में में लगी है जो दादन नामक कसमे में है वो भी कुछ ही साल पहले लगाई गई थी. उसे दादन बयोरा नामक एक फ्रेंच ने बनाया था. और मंगोलिया वालों ने उसे मालामाल कर दिया था.
ऐसा नहीं है कि मंगोल्स अपने राष्ट्र  निर्माता की इज्जत नहीं करते. बुर्खान की खल्दून पहाड़ियों पर निकलने झरने का पानी को मंगोल्स बोतलों में भरकर अपने पूजाघरों में रखते है. मान्यता  है कि चंगेज खान के जन्म के तीसरे दिन उसे उसी झरने में नहलाया गया था. उस इलाके में महिलाओं का जाना वर्जित है क्योकि माना जाता है कि एक बार चंगेज खान वहां प्रार्थना करने गया था उस समय उसके साथ कोई महिला नहीं थी.
अब सवाल ये है कि क्या चंगेज खान वास्तव में रक्त पिपासु था? बलात्कारी था??बेरहम हत्यारा था??????
सवाल है कोन  सा शासक रक्त पिपासु नहीं था. किसने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए रक्त नहीं बहाया. हर दौर के राजाओं ने किया.अमेरिका कि सी.आई.ए. के कारनामों से,रूस की खुफिया एजेंसी के चीफ लाव्रेंती बेरिया के दुर्दांत कारनामों को कौन इतिहास का जानकर नहीं जानता. अभी अमेरिका ने हथियारों के नाम पर जो तबाही ईराक में मचाई उससे कौन अंजान है. सब जानते है कि वो उसने तेल के लिए किया है.किसी और तरह तो वो सद्दाम को सत्ता से बाहर तो नहीं कर सकता था. दुनिया में साम्यवाद का ढिंढोरा पीटने वाले रूस ने मंगोलिया में किस तरह तबाही मचाई. उसकी जमीन पर से उसके इतिहास कि निशानियों को मिटाकर हर जगह उसने अपनी छाप छोड़ी.उस चंगेज खान को जैसे मिटाकर रख दिया मंगोलिया से रूस और चीन ने.
चलिए अब बताता हूँ कि चंगेज खान था कौन? वो किस जगह से ऊंचा उठकर शशक बना?
चंगेज खान का असली नाम तेमुंची था. मंगोल के घास के मैंदानों में बर्बर कबीले रहा करते थे. जिनका कोई धर्म नहीं था.  वो शिकार करके और जानवर पालकर जीवन चलाते थे. कोई भी किसी  पत्नी को हासिल करके अपनी पत्नी बना सकता था, मगर उससे पहले उसके पति का कत्ल करना होता था. चंगेज खान के पिता येसुगाई ने भी उसकी माँ ओएलून को उसके पति येकेचिरादु से छीना था जो कि मकीत कबीले का था. वो उसका कत्ल नहीं कर पाया था.तेमुंची के दो भाई -खसर और तेमुगा उर्फ़ ओतचिगीन, एक बहन -तेमुलून थी. नौ साल कि उम्र में तेंमुची कि शादी उन्गीरा कबीले की बोर्ताई के साथ कर दी गयी.ये बात मकीतों को सहन नहीं हुई कि कोई दादा कबीले वाला उनके सगोत्री लड़की से शादी कर ले.
एक दिन जब येसुगाई तेमुंची को उसके ससुर के घर छोडकर वापिस लौट  रहा था तो तातारियो कबीले वालों ने धोखे से उसे जहर देकर मार डाला था. ओएलून ने दूसरी शादी नहीं की और अपने बच्चों को पालने में लग गयी. फिर भी दुश्मनों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. उन लोगों ने उसके तम्बू को जला दिया. उसे भी मारने कि कोशिश की लेकिन वो उनके हाथ नहीं आया. वो पूरे दिन ओनान नदी में नलकी के सहारे साँस लेकर छिपा रहा. उसके बचपन के प्यार और पत्नी को मकीत कबीले के लोग अपने साथ ले गए और मकीत कबीले के सिल्चर से उसके शादी कर दी. तेमुंची बदले की आग और पत्नी के वियोग में में तडपता रहा उसने सेना को संगठित किया और मकीतों आक्रमण किया. उसने भयानक तरीके से मकीतों को कुचल दिया और सिल्चर  को भी ख़त्म कर दिया. मगर उसे ये देखकर घोर निराशा हुई कि तब तक बोर्ताई एक बेटे कि माँ बन चुकी थी. तेमुंची के कबीले  वालों ने उसे उस बच्चे का क़त्ल करने के लिए कहा क्योंकि वो दुश्मन का खून था. मगर उसने सिर्फ इसलिए उसे अपना  लिया कि बोर्ताई उसे बहद प्यार करती थी. उसने उस बच्चे को अपनाया बल्कि बेटे का पूरा हक भी दिया. मन जाता है कि वो सपने बच्चों में सबसे ज्यादा जूजी को ही करता था. ( अगर वो बेरहम था तो उसने अपने दुश्मन के खून को गले  से क्यों लगा लिया?)
उस घटना से बोर्ताई पर बड़ा बुरा असर पड़ा कि वो आत्महत्या करने के लिए चल दी थी तेमुंची उसे वापिस लेने गया तो उसने सवाल किया -` पहले मुझे सिल्चर तुमसे छेन्क्र ले गया और बड़ी ही मुश्किल से मैंने अपने आप को संभाला और अपना पूरा दयां अपनी कोख से पैदा हुए जूजी को पालने में लगाने लगी. अब तुम आये और मुझे सिल्चर से ले आये.......कल को कोई और आएगा और फिर मुझे तुमसे छीनकर ले जायेगा. तब मेरे बच्चों का क्या होगा?'
उस समय तेमुंची ने वादा किया कि वो ऐसी स्थिति पैदा ही नहीं होने देगा. और उसने जो वादा किया ही था उसे निभाया भी. उसने अपने आपको ताकतवर बनाना शुरू कर दिया.उसने एक एक करके तमाम कबीलों को जीतना शुरू केर दिया. १२०१ ई० में  ग्यारह कबीलों का खान चुन लिया गया. १२०६ ई० में बाकी तमाम कबीलों ने भीउसकी अधीनता स्वीकार कर ली और उसे चंगेज खान यानि धरती के खान की उपाधि दे दी.
उसके बाद उसने अपने कदम आगे बढ़ने शुरू किये तो ही तो वो यात्रा उसकी सासों  के साथ ही रुकी. उसने १२२०  ई० में उसने समरकंद को जीता. उसके बाद उसने सब्ज्वार नोशापुर इत्यादि को जीतकर अपने विशाल साम्राज्य का निर्माण किया. मत्र २५ सस्लोंमें उसने उससे भी बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया जितन बड़ा साम्राज्य बनाने के लिए रोम को ४०० साल लगे थे. उसका साम्राज्य की सीमा कोरिया वियतनाम से लेकर पोलैंड , हंगरी और कैस्पियन सागर से लेकर प्रशांत सागर तक थी.बात केवल साम्राज्य के विस्तार की ना करें बात शासन को चलने की भी बात करें तो अब एतिहासिक तथ्य ये बात सिद्ध कर चुके है कि वो एक बेहतर शासक भी था. कई काम उसने अपने हस्सन काल में किये जो दुनिया में बहुत बाद में शासकों ने किये. चलिए उनकी लिस्ट देता हूँ.
# चंगेज खान ने अपने राज्य में मुक्त व्यापार लागु किया.
# उसने डाक व्यवस्था शुरू की. उसके समय में व्यापारियों के अलावा भी लोग शुल्क देकर अपने सन्देश  भेज सकते थे.
# उसने लिखित कानून बनाया.कानून से बढ़कर कोई नहीं था. खुद राजा को भी कानून से बढ़कर नहीं था.कानूनी फैसलों के दस्तावेजों को वो संग्रहित करवाता था.
# उसने अपने राज्य में स्त्रियों के अपहरण पर पाबन्दी लगाकर स्त्रियों को सामान समान अधिकार दिए.
# राज्य में धर्म प्रचार की छूट थी.
# वो पडोसी राज्यों में दूतों  की नियुक्ति करता था.
# उसने चीन के अलावा हरेक विजित राज्य में शासन सञ्चालन का जिम्मा स्थानीय लोगों को दिया.
ऐसी शासन व्यवस्था को चलाने वाला बन्दा क्या बुरा शासक होगा.कट्टर होगा या जानता का बुरा चाहने वाला होगा?ऐसी शासन व्यवस्था तैयार करने वाला बन्दा क्या कम प्रतिभाशाली होगा.?
हकीकतन वो प्रतिभाशाली था भी मगर बाद में वो चीन का गुलाम हो गया और चीन ने उसके साथ बेहद क्रूर व्यवहार किया. उसने उस महानायक जिसके सामने उसने घुटने टेक दिए थे. वो चीन के इतिहास का सबसे काला अध्याय था. उसने उस महनायक को बदनाम बदनाम करने के लिए अपने हिसाब से इतिहास लिखा. उस महानायक कि तमाम निशानियों को मिटा दिया. बाद में उसे रूस कि सह्गयता से आजादी भी मिली तो उसने भी वहां अपनी ही छाप छोडनी शुरू की. अब उसे जब मंगोलिया का रुझान चीन कि तरफ जाता नजर आने लगा तो उसने उस देश के महानायक कि सुध लेनी शुरू कर दी. अब उसके इतिहास को दोबारा लिखा जाने लगा है और उसके महान कामों को सामने लाया जा रहा है.