http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=36&edition=2012-05-17&pageno=24#id=111740631371097072_36_2012-05-17
यह सीधा सादा उपन्यास है। कुछ हद तक इसे एंटरटेनिंग, रोमांटिंक और
पति-पत्नी के बीच सेक्स को प्रभावी तरीके से रखने का प्रयास है। फिर भी
आप ये नहीं कह सकते कि उपन्यास कोई स्पष्ट मैसेज देता नजर नहीं आता है।
कुछ हद तक इस पुस्तक में परिवार के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए
दांपत्य को बनाये रखना कितना महत्वपूर्ण होता है के ऊपर आधारित है। इस
पुस्तक में पति-पत्नी के उस नाजुक रिश्ते को टच करने का प्रयास किया
गया है, जिसमें पति अपने स्पाउज को फिजिकली सटिसफाई नहीं कर पाता। इस बात
को लेकर उपन्यास में पति-पत्नी के बीच एक सार्थक संवाद पैदा करने की
कोशिश की गई है। इस काम में लेखक कितना सफल हुए हैं इसे आप पढ़कर खुद ही
अंदाजा लगा सकते हैं। दोनों के बीच जारी संवाद में ये बात भी उभरकर आता
है कि ये सब बकवास है कि कौन परफेक्ट है और कौन नहीं। सही मायने में तो
कोई भी पति पत्नी की चाहत हो पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर सकता। दोनों
के बीच मतभेद के कारण भी यही होते हैं। यह दांपत्य जीवन में कभी कभार कटु
अनुभवों के दौर तक पहुंचता है तो कभी शांत भी हो जाता है। यह क्रम चलता
रहता है। समझदारी का अभाव रखने वाले लोग इसी बात को लेकर भ्रम में फंसते
हैं और उसका परिणाम कई बार मौत को अंजाम देने तक पहुंच जाता है। मगर
जैविक आवश्यकताओं की सही समझ रखने वाले व जिंदगी को करीब से जानने वाले
समझदार लोग स्थिति में उसी रूप में स्वीकार करते हैं जिस रूप में उनके
सामने वह आता है। ऐसे दांपत्य संतुष्टि-असंतुष्टि दोनों के बीच लाइफ को
खूबसूरत बनाने में जुटे रहते हैं और वही जिंदगी को सही मायने में जीने
में कामयाब भी होते हैं। -सिटी रिपोर्टर
यह सीधा सादा उपन्यास है। कुछ हद तक इसे एंटरटेनिंग, रोमांटिंक और
पति-पत्नी के बीच सेक्स को प्रभावी तरीके से रखने का प्रयास है। फिर भी
आप ये नहीं कह सकते कि उपन्यास कोई स्पष्ट मैसेज देता नजर नहीं आता है।
कुछ हद तक इस पुस्तक में परिवार के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए
दांपत्य को बनाये रखना कितना महत्वपूर्ण होता है के ऊपर आधारित है। इस
पुस्तक में पति-पत्नी के उस नाजुक रिश्ते को टच करने का प्रयास किया
गया है, जिसमें पति अपने स्पाउज को फिजिकली सटिसफाई नहीं कर पाता। इस बात
को लेकर उपन्यास में पति-पत्नी के बीच एक सार्थक संवाद पैदा करने की
कोशिश की गई है। इस काम में लेखक कितना सफल हुए हैं इसे आप पढ़कर खुद ही
अंदाजा लगा सकते हैं। दोनों के बीच जारी संवाद में ये बात भी उभरकर आता
है कि ये सब बकवास है कि कौन परफेक्ट है और कौन नहीं। सही मायने में तो
कोई भी पति पत्नी की चाहत हो पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर सकता। दोनों
के बीच मतभेद के कारण भी यही होते हैं। यह दांपत्य जीवन में कभी कभार कटु
अनुभवों के दौर तक पहुंचता है तो कभी शांत भी हो जाता है। यह क्रम चलता
रहता है। समझदारी का अभाव रखने वाले लोग इसी बात को लेकर भ्रम में फंसते
हैं और उसका परिणाम कई बार मौत को अंजाम देने तक पहुंच जाता है। मगर
जैविक आवश्यकताओं की सही समझ रखने वाले व जिंदगी को करीब से जानने वाले
समझदार लोग स्थिति में उसी रूप में स्वीकार करते हैं जिस रूप में उनके
सामने वह आता है। ऐसे दांपत्य संतुष्टि-असंतुष्टि दोनों के बीच लाइफ को
खूबसूरत बनाने में जुटे रहते हैं और वही जिंदगी को सही मायने में जीने
में कामयाब भी होते हैं। -सिटी रिपोर्टर