Wednesday, June 3, 2015

बाल काटने वाला अरबपति

अगर कोई कहे अमुक नाई ( जातिसूचक नहीं कर्म सूचक ) के पास अरबो रूपये की संपत्ति है तो आपको सदीद हैरानी होगी।  भला क्या कोई बाल  काटने वाला इतना पैसा का सकता है !!!!
      लेकिन बंगलुरु के रमेश बाबू अब भी नाई का का काम करते है और अरबों रूपये कजी संपत्ति के मालिक हैं। पाठकों को बता दूँ कि रमेश बाबू ने ये दौलत अपनी हिकमत और मेहनत से कमाई है। इनके पास रोल्स रॉयस, मर्सडीज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी जैसी लग्जरी कारों का काफिला है।

ऐसा भी नहीं था की रमेश बाबू मुंह में चंडी की चम्मच लेकर पैदा हुए थे। ४३ वर्षीय बंगलुरु के अनंतपुर के रहने वाले रमेश जब ७ साल के थे तो उनके पिता गुजर गए। पिता बंगलुरु के चेन्नास्वामी स्टेडियम के पास अपनी नाई की दुकान चलाते थे। पिता की मौत के बाद रमेश बाबू की मां ने लोगों के घरों में खाना पकाने का काम किया ताकि बच्चों का पेट भर सकें।दुकान से अतिरिक्त आय हो सके इसीलिए उन्होंने अपने पति की दुकान को महज ५ रुपए महीना पर किराए में दे दिया था।
रमेश बाबू तमाम कठिनाई के बावजूद पढ़ाई करते थे। १२वीं क्लास में फेल होने के बाद उन्होंने इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा किया। १९८९ ई० में उन्होंने पिता की दुकान वापस लेकर उसे नए सिरे से चलाया। स्कूल के दिनों में ही रमेश बाबू दुकान दोबारा चलने का फैसला कर लिया। उनकी दुकान उसी ईमारत में थी जिसमे उनका स्कूल था। दुकान को मॉडर्न बनाकर उन्होंने उसका नाम INNER SPACE रखा।  दुकान में उन्होंने खूब मेहनत की। दुकान से उन्हें अच्छी आय हुई। अपनी आय बढ़ाने के लिए उन्होंने एक मारुति वैन खरीद ली। चूंकि वह कार खुद नहीं चला पाते थे सो उन्होंने कार को किराए पर देना शुरु कर दिया। २००४ ई० में उन्होंने अपनी कंपनी `रमेश टूर एंड ट्रेवल्स' की शुरुआत की। सैलून के काम के साथ कार के रेंट के काम से उन्हें अतिरिक्त आय होने लगी।  उनकी प्रतिष्ठा और व्यापार तेजी के साथ बढ़ने लगा।   

   १९९० ई० उन्होंने जो व्यापार शुरू किया उसकी तरक्की के परिणामसवरूप  आज रमेश बाबू के पास २५६ कारों का काफिला है। इनमें ९  मर्सडीज, ६  बीएमडब्ल्यू, एक जगुआर और तीन ऑडी कारें है। वह रॉल्स रॉयस जैसी महंगी कारें भी चलाते हैं जिनका एक दिन का किराया 50,000 रुपए तक है। रमेश बाबू के पास ६० से भी ज्यादा ड्राइवर हैं. रमेश के पास सुजुकी इंट्रूडर की हाई एंड बाइक भी हैजिसकी कीमत 16 लाख रुपये है। पूरे बेंगलुरु में रमेश बाबू के अलावा सिर्फ पांच ऐसे    लोग हैंजिनके पास रोल्स रॉयस जैसी कार है।
  आज भी उन्होंने अपना पुश्तैनी काम नहीं छोड़ा, वह आज भी अपने पिता के सैलून इनर स्पेस को चला रहे हैं, जिसमें वो हर दिन २  घंटे ग्राहकों के बाल काटते हैं।
   लग्जरी टैक्सी सर्विस शुरू करने के बाद से रमेश बाबू के क्लाइंट की लिस्ट बढ़ती गई। अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन से लेकर शाहरुख खान जैसी बॉलीवुड सेलेब्रिटी भी उनकी क्लाइंट लिस्ट में शामिल हैं।
   रमेश बाबू रोज सुबह साढ़े ५ बजे अपने गैराज में जाते हैं। वहां गाड़ियों की देखरेख, बुकिंग की जानकारी लेकर साढ़े १० बजे अपने ऑफिस पहुंचते हैं। पूरे दिन क्लाइंट और बिजनेस में बिजी रहने के बाद शाम को ५-६ बजे के बीच वह अपने सैलून जरूर जाते हैं। यहां भी उनके खास क्लाइंटस उनका इंतजार कर रहे होते हैं। रमेश बाबू के मुताबिक, उनके ज्यादातर क्लाइंट्स बाल कटाने कोलकाता और मुंबई से आते हैं।
   रमेश बाबू अपनी दोनों बेटियों और एक बेटे को भी सैलून का काम सीखा रहे हैं। रमेश बाबू का कहना है कि ये एक तरह का जॉब हैं, जिसमें प्रोफेशनल होना जरूरी है। वो उन्हें अपने साथ सैलून भी ले जाते हैं, लेकिन अभी छोटी उम्र होने के कारण उन्हें वहां काम नहीं दिया जाता।
   रमेश बाबू का अगला टारगेट दूसरे शहरों में अपना बिजनेस बढ़ाने की है। वो अपने सैलून और टैक्सी सर्विस को विजयवाड़ा में शुरू करने की प्लानिंग कर रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसे शहरों में संभावनाएं हैं। इसलिए फोकस इन्हीं शहरों पर है। हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में बिजनेस की सफलता के लिए काफी वक्त लगता है, लेकिन छोटे शहर में आपके पास कई विकल्प होते हैं।

    आज भी एक अमीर आदमी बनने के बावजूद रमेश अपनी जड़ें नहीं भूले हैं। वह अपने सैलून की दरें बढ़ा सकते हैं या फिर सैलून का काम छोड़ सकते हैं। लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं। रमेश का कहना है कि यह उनका पुश्तैनी काम है। रमेश के पैर जमीन पर किस तरह से टिके हुए हैं, इसका अंदाजा उनकी इसी बात से लग सकता है कि जिस दिन वह बाल नहीं काटेंगे, वह सो नहीं पाएंगे।


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