अध्याय-१८
अगले दिन सुबह.
बरसात के मौसम में एक बार अगर झड़ लग जाये तो कई दिनोंतक बूंदा-बांदी होना कोई हैरानी वाली बात नहीं होती. सुबह के वक्त तो नहीं हो रही थी, हाँ बूंदा-बांदी जरूर हो रही थी.
नाश्ते के बाद ऑफिस जाने से पहले कमरे में से आवाज दी. मैं किचन से दौड़ती हुई बैडरूम में गयी. वो बैड पर पैर लटकाकर बैठे हुए थे
'कुछ कहना थ?"-मैंने पूछा.
"हाँ, कई दिनों से आपसे बात करना चाहता था."-वो बोले-"एक भी बार आपने फर्म के बारे में नहीं पूछा. हिसाब-किताब की बात नहीं की."
"मैं क्या पूछूं?"-मैं बोली-"मैं तो बिजनेस के बारे में कुछ नहीं जानती."
"पर आपको जानना चाहिए."उन्हीने बिस्तर से उठते हुए कहा-"आपका बिजनेस है. ये कैसे रन कर रहा है -इसपर आपको नजर रखनी चाहिए.मुझे लगता है आपको फर्म ज्वाइन कर लेनी चाहिए"
"नहीं ."-मैंने कहा-""मैं इस चक्कर में नहीं पड़ना चाहती. रही बात फर्म के हिसाब-किताब की तो उसे चाचू देख लेंगे."
" ना."-तत्काल ही उनका स्वर सख्त हो गया-"मैं इसके लिए बाध्य नहीं हूँ."
"मतलब?"-सख्त मेरा स्वर भी हो गया.
"विल के हिसाब से मैं बिजनेस का केयर टेकर हूँ."-वो बोले -"साथ ही ये भी ही हिदायत है की इसमें मैं किसी और को इन्वाल्व न करूँ."
"बट, वो मेरे चाचा हैं, कोई गैर नहीं."
"सॉरी."-वो अपने इरादे पर अडिग थे -"मैं ये नहीं करूंगा.सर ने मेरे हवाले किया है. मैं किसी और को इसमें इन्वोल्व नहीं करूंगा."
मैं भन्ना गयी.
पर सच ये था की मैं कोई पंगा नहीं करना चाहती थी. न ही मैं कुछ करने में एबल थी, सो मैंने झर का घूँट सा पीकर कहा-"हम इस बार में शाम को बात करेंगे."
***
मैंने सुरेन्द्र चाचा के पास फोन किया तो उन्होंने असमर्थता शो कर दी.
"बेटे, भाई साहब ही विल बनाकर गये है."-वो घायल से भाव से बोले-"इस बारे में कोई कुछ नहीं कर सकता.अगर उन्हें हमपर यकीन होता तो वो ऐसा क्यों करते?"
***
मेरी समझ में कुछ नहीं आया
मैंने छोटे चाचा से बात की. उनका भी व्ही जवाब मिला. उनकी टोन भी बड़े चाचा जी के जैसी थी. मैंने नाना जी से बात की नाना जी ने कहा-"तू खुद ही उसका ध्यान रख ले ना. एक ऑडीटर हायर कर ले. वो सारे अकाउंट ऑडीट कर देगा. ?
"मैं किसी ऑडीटर को नहीं जानती."
"वो मैं देखा लूँगा."-नाना जी ने कहा-"हर तिमाही पर फर्म का अकाउंट ऑडीट करवा लिया करना. उसे पॉवर ऑफ़ अटोर्नी है तो क्या मालकिन तो तू ही है न. अगर कुछ गलत दिखे तू अपने हक यूज करना."
"ठीक है."
मैं जरा सी रिलैक्स हो गयी.
बाते करने के बात मैंने मोबाइल को डिस्कनेक्ट करके बिस्तर पर फेंक दिया और रिलेक्स होकर कमरे में टहलने लगी. मैं बालकनी में चली गयी और शबनम आंटी को आवाज देकर चाय के लिए साथ बनाने के लिए बोल दिया. सी पल मुझे स्टोर में रखे गिफ्ट्स का ध्यान आया. मैंने सोचा चलो जब तक चाय बनती है तब तक नेहा का ही गिफ्ट चेक कर लिया जाये.
मैं स्टोर में गयी.
स्टोर रूम में जाते ही मेरा ध्यान वहाँ पर रखे रबड़ के भयानक चेहरे पर गया जो तब भी हँसता हुआ स्प्रिंग के सहारे ठुमक रहा था. उसे देखते ही मेरे होठों पर बरबस ही मुस्कान थिरक उठी.
उसी पल मेरे मन में नयी खुराफात उभरी-" देखूं तो सही ' उनके' दोस्त ने क्या पर्सनल माल गिफ्ट किया है?"
मैंने नेहा के गिफ्ट को देखने का प्रोग्राम पोस्टपों करके उन दोनों गिफ्ट्स को देखने का इरादा बना लिया जो तब अधखुले पड़े थे.
मैंने पहले एक गिफ्ट को पूरा खोला. ओसके अंदर झाँका और उसमे एक पैंटी, एक बर्थ- कंट्रोल को गोलियों का पैकेट रखा हुआ देखा.
दूसरा गिफ्ट खोलकर देखा. उसमे बस K-Y jelly और सिलिकोन लुब्रिकेंट ट्यूब्स रखी हुई थी. वो किस काम की थीं मैं जरा भी नहीं समझी. ( हालाँकि अब समझती हूँ सिलिकोन लुब्रीकेंट तो हम अब यूज भी करते हैं.)
उन दोनों ट्यूब्स को मैंने कई बार उलट-पुलट कर देखा, और अब कुह समझ में नहीं आया तो यथा स्थान वापिस रख दिया. रक बात मेरी समझ में नहीं आई-' उन्होंने वो गिफ्ट्स ज्यों-के-त्यों क्यों रख दिए थे इनमे क्या खास बात है?"
खैर!
मैंने वहां से अपना फोस हत्या और नेहा के गिफ्ट पैक को उठा लिया और बडबडाते हुए-"पता नहीं इस स्टुपिड ने क्या भेजा है.?"-गिफ्ट पैक को को खोलना शुरू कर दिया.
मैंने उसे खोला तो मेरा ध्यान उसमे रखी हुई नाइटी पर गया. मैंने उसे बहर निकालकर उसे खोलकर हवा में झुलाकर देखा. वो स्किन से मैच करती हुई गुलाबी एकदम पारदर्शी नाइटी थी. उसको देखने के बाद मैंने उसे साइड में रख दिया. पैक में रखे दुसरे आइटम को देखा तो उनमे एक डॉटेड कंडोम का पैकेट था. एक D.V.D. थी उसपर लिखा था. watch and try it.
मैं जरा-सी उलझ गयी.
वो एक पोर्न फिल्म थी.
उसी पल मेरे कानों में किसी की पदचापें पड़ीं तो मेरा ध्यान उस तरफ गया. दरवाजे पर शबनम आंटी खड़ी थी. लैपटॉप की स्क्रीन को फोल्ड कर दिया और ह्वासों को काबू पाने की कोशिश करती हुई बोली-"यस आंटी, क-क्या काम है?"
"क्या देख रही थी बेबी?"-शबनम आंटी ने मेरा चेहरा गौर से देखते हुए पूछा.
"N-N-nothing..."-मैं कहा-"कुछ काम था?"
"पकोड़ियाँ यहीं लाऊं या बैडरूम में?" -वो गंभीरता से बोली.
"बैडरूम में ही तो हूँ मैं "-मैं चौंकी. उलझी. तत्काल मेरे याद आया-"तोड़ दी अंग्रेजी की टांग."-मैंने तत्काल मुस्कान दबाई.
अगले ही पल गंभीर हो गयी.-"नहीं.'
"नहीं मीन्स......?"
"i dint want anything."-मैं फ्लो में कह गयी-"i am leaving."
"क्या बोला?"-सब उनके सर के ऊपर से निकल गया था.
अगले ही पल मैं समझ भी गयी उनके चेहरे के रिएक्सन देखकर. सो बिस्तर से उठकर बोली-"मैं कहीं जा रही हूँ. चाय नाश्ता तुम सब कर लेना."
"कहाँ जा रही हो?"
"नेहा के घर."-कहकर मैं निकल गयी.
***
" न, सब एकदम ठीक है."-मैंने आत्मविश्वास से कहा भरी स्वर में -"वो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सब कर रहे है ना- अगर प्रॉब्लम होती तो क्यों करते.?"
अगले दिन सुबह.
बरसात के मौसम में एक बार अगर झड़ लग जाये तो कई दिनोंतक बूंदा-बांदी होना कोई हैरानी वाली बात नहीं होती. सुबह के वक्त तो नहीं हो रही थी, हाँ बूंदा-बांदी जरूर हो रही थी.
नाश्ते के बाद ऑफिस जाने से पहले कमरे में से आवाज दी. मैं किचन से दौड़ती हुई बैडरूम में गयी. वो बैड पर पैर लटकाकर बैठे हुए थे
'कुछ कहना थ?"-मैंने पूछा.
"हाँ, कई दिनों से आपसे बात करना चाहता था."-वो बोले-"एक भी बार आपने फर्म के बारे में नहीं पूछा. हिसाब-किताब की बात नहीं की."
"मैं क्या पूछूं?"-मैं बोली-"मैं तो बिजनेस के बारे में कुछ नहीं जानती."
"पर आपको जानना चाहिए."उन्हीने बिस्तर से उठते हुए कहा-"आपका बिजनेस है. ये कैसे रन कर रहा है -इसपर आपको नजर रखनी चाहिए.मुझे लगता है आपको फर्म ज्वाइन कर लेनी चाहिए"
"नहीं ."-मैंने कहा-""मैं इस चक्कर में नहीं पड़ना चाहती. रही बात फर्म के हिसाब-किताब की तो उसे चाचू देख लेंगे."
" ना."-तत्काल ही उनका स्वर सख्त हो गया-"मैं इसके लिए बाध्य नहीं हूँ."
"मतलब?"-सख्त मेरा स्वर भी हो गया.
"विल के हिसाब से मैं बिजनेस का केयर टेकर हूँ."-वो बोले -"साथ ही ये भी ही हिदायत है की इसमें मैं किसी और को इन्वाल्व न करूँ."
"बट, वो मेरे चाचा हैं, कोई गैर नहीं."
"सॉरी."-वो अपने इरादे पर अडिग थे -"मैं ये नहीं करूंगा.सर ने मेरे हवाले किया है. मैं किसी और को इसमें इन्वोल्व नहीं करूंगा."
मैं भन्ना गयी.
पर सच ये था की मैं कोई पंगा नहीं करना चाहती थी. न ही मैं कुछ करने में एबल थी, सो मैंने झर का घूँट सा पीकर कहा-"हम इस बार में शाम को बात करेंगे."
***
मैंने सुरेन्द्र चाचा के पास फोन किया तो उन्होंने असमर्थता शो कर दी.
"बेटे, भाई साहब ही विल बनाकर गये है."-वो घायल से भाव से बोले-"इस बारे में कोई कुछ नहीं कर सकता.अगर उन्हें हमपर यकीन होता तो वो ऐसा क्यों करते?"
***
मेरी समझ में कुछ नहीं आया
मैंने छोटे चाचा से बात की. उनका भी व्ही जवाब मिला. उनकी टोन भी बड़े चाचा जी के जैसी थी. मैंने नाना जी से बात की नाना जी ने कहा-"तू खुद ही उसका ध्यान रख ले ना. एक ऑडीटर हायर कर ले. वो सारे अकाउंट ऑडीट कर देगा. ?
"मैं किसी ऑडीटर को नहीं जानती."
"वो मैं देखा लूँगा."-नाना जी ने कहा-"हर तिमाही पर फर्म का अकाउंट ऑडीट करवा लिया करना. उसे पॉवर ऑफ़ अटोर्नी है तो क्या मालकिन तो तू ही है न. अगर कुछ गलत दिखे तू अपने हक यूज करना."
"ठीक है."
मैं जरा सी रिलैक्स हो गयी.
बाते करने के बात मैंने मोबाइल को डिस्कनेक्ट करके बिस्तर पर फेंक दिया और रिलेक्स होकर कमरे में टहलने लगी. मैं बालकनी में चली गयी और शबनम आंटी को आवाज देकर चाय के लिए साथ बनाने के लिए बोल दिया. सी पल मुझे स्टोर में रखे गिफ्ट्स का ध्यान आया. मैंने सोचा चलो जब तक चाय बनती है तब तक नेहा का ही गिफ्ट चेक कर लिया जाये.
मैं स्टोर में गयी.
स्टोर रूम में जाते ही मेरा ध्यान वहाँ पर रखे रबड़ के भयानक चेहरे पर गया जो तब भी हँसता हुआ स्प्रिंग के सहारे ठुमक रहा था. उसे देखते ही मेरे होठों पर बरबस ही मुस्कान थिरक उठी.
उसी पल मेरे मन में नयी खुराफात उभरी-" देखूं तो सही ' उनके' दोस्त ने क्या पर्सनल माल गिफ्ट किया है?"
मैंने नेहा के गिफ्ट को देखने का प्रोग्राम पोस्टपों करके उन दोनों गिफ्ट्स को देखने का इरादा बना लिया जो तब अधखुले पड़े थे.
मैंने पहले एक गिफ्ट को पूरा खोला. ओसके अंदर झाँका और उसमे एक पैंटी, एक बर्थ- कंट्रोल को गोलियों का पैकेट रखा हुआ देखा.
दूसरा गिफ्ट खोलकर देखा. उसमे बस K-Y jelly और सिलिकोन लुब्रिकेंट ट्यूब्स रखी हुई थी. वो किस काम की थीं मैं जरा भी नहीं समझी. ( हालाँकि अब समझती हूँ सिलिकोन लुब्रीकेंट तो हम अब यूज भी करते हैं.)
उन दोनों ट्यूब्स को मैंने कई बार उलट-पुलट कर देखा, और अब कुह समझ में नहीं आया तो यथा स्थान वापिस रख दिया. रक बात मेरी समझ में नहीं आई-' उन्होंने वो गिफ्ट्स ज्यों-के-त्यों क्यों रख दिए थे इनमे क्या खास बात है?"
खैर!
मैंने वहां से अपना फोस हत्या और नेहा के गिफ्ट पैक को उठा लिया और बडबडाते हुए-"पता नहीं इस स्टुपिड ने क्या भेजा है.?"-गिफ्ट पैक को को खोलना शुरू कर दिया.
मैंने उसे खोला तो मेरा ध्यान उसमे रखी हुई नाइटी पर गया. मैंने उसे बहर निकालकर उसे खोलकर हवा में झुलाकर देखा. वो स्किन से मैच करती हुई गुलाबी एकदम पारदर्शी नाइटी थी. उसको देखने के बाद मैंने उसे साइड में रख दिया. पैक में रखे दुसरे आइटम को देखा तो उनमे एक डॉटेड कंडोम का पैकेट था. एक D.V.D. थी उसपर लिखा था. watch and try it.
मैं जरा-सी उलझ गयी.
मैंने तुरंत स्टोर से बाहर आकर अपना लैपटॉप उठाकर ऑन किया और D.V.D. को उसमे डाला और उसे प्ले कर दिया.
D.V.D. की टाईटलिंग ने ही एरा दिमाग घुमा दिया. मेरा समूचा चेहरा कनपटियों तक ढकते अंगारे की तरह लाल सुर्ख हो गया था. बदन का समूचा लहू खौलता तेजाब बन गया था मानो. उस फिल्म की टाईट्लिंग में ही वासनात्मक सीन्स चल रहे थे. लड़के द्वारा ' जुल्म' होने पर किलकारियां मर रही थी.वो एक पोर्न फिल्म थी.
उसी पल मेरे कानों में किसी की पदचापें पड़ीं तो मेरा ध्यान उस तरफ गया. दरवाजे पर शबनम आंटी खड़ी थी. लैपटॉप की स्क्रीन को फोल्ड कर दिया और ह्वासों को काबू पाने की कोशिश करती हुई बोली-"यस आंटी, क-क्या काम है?"
"क्या देख रही थी बेबी?"-शबनम आंटी ने मेरा चेहरा गौर से देखते हुए पूछा.
"N-N-nothing..."-मैं कहा-"कुछ काम था?"
"पकोड़ियाँ यहीं लाऊं या बैडरूम में?" -वो गंभीरता से बोली.
"बैडरूम में ही तो हूँ मैं "-मैं चौंकी. उलझी. तत्काल मेरे याद आया-"तोड़ दी अंग्रेजी की टांग."-मैंने तत्काल मुस्कान दबाई.
अगले ही पल गंभीर हो गयी.-"नहीं.'
"नहीं मीन्स......?"
"i dint want anything."-मैं फ्लो में कह गयी-"i am leaving."
"क्या बोला?"-सब उनके सर के ऊपर से निकल गया था.
अगले ही पल मैं समझ भी गयी उनके चेहरे के रिएक्सन देखकर. सो बिस्तर से उठकर बोली-"मैं कहीं जा रही हूँ. चाय नाश्ता तुम सब कर लेना."
"कहाँ जा रही हो?"
"नेहा के घर."-कहकर मैं निकल गयी.
***
" तेरा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया है?"-मैंने घर जाते ही नेहा को आड़े हाथों लिया. उस समय वो अपने बैडरूम में पड़ी सो रही थी जब मैंने जाकर उसे जगाया.
"क्या हो गया यार."-वो बैड पर बैठकर अंगडाई लेते हुए एकदम इनोसेंट भाव से बोली. --"तू बारिश में क्यों इतने खद्दे खा रही है?"
" तुमे गिफ्ट में क्या भेजा था?" मैंने उसे घूरा.
" यार, मैंने कुछ भेजा ही कहाँ है?"-वो पलकें झपकती हुई सदीद हैरानी से बोली.
"मैं शादी के गिफ्ट की बात कर रही हूँ."-मैंने खुश्क भाव से कहा.
" शादी का गिफ्ट......."-वो हैरानी से मेरा मूंह तकती रह गयी." ओह्ह गोड! तुने वो गिफ्ट आज खोलकर देखा है?"
" नहीं कल खोला था `उन्होंने `"-मैंने बताया-" मैंने उसे अब देखा."-मेरी टोन तुरंत क्रोध से भर गयी.-" कितनी गन्दी हो गयी है तू!"
" ओए-होए मेरी जान ."-उसने उठकर मुझे अपनी बांहों में भर किया और बिस्तर पर ढेर होकर बोली-" रात को जब अपने पतिदेव के साथ वो `गन्दा` काम मजे लेकर करती होगी तो मुझे गंदा नहीं लगता होगा. हमने इस काम को और ज्यादा स्पाईसी बनाने का सामान क्या दे दिया- मैडम को पतंगे लग गये."
" ईडियट, हम कुछ नहीं करते."-मेरे मूंह से बरबस ही निकला.
उसने मुझे झटके से यूं बंधन मुक्त किया कि जैसे मेरे बदन में कांटे उग आए हों,वो परे छिटक हई-" are you out of mind?"
मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गयी
नेहा भी उठकर मेरे पास बैठ गयी. मेरे पहलू में बैठी वो मुझे यूँ देखती रही मानो मैं कोई एलियन होऊं.
" सब ठीक है ना?"-वो गम्भीर भाव से बोली.
" मतलब?"
"तेरे एंग्री यंगमैन को कोई प्रॉब्लम वगैरा तो नहीं है?"
मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गयी
नेहा भी उठकर मेरे पास बैठ गयी. मेरे पहलू में बैठी वो मुझे यूँ देखती रही मानो मैं कोई एलियन होऊं.
" सब ठीक है ना?"-वो गम्भीर भाव से बोली.
" मतलब?"
"तेरे एंग्री यंगमैन को कोई प्रॉब्लम वगैरा तो नहीं है?"
" तुझे क्या पता की वो करता है?"
"पता है."-मैंने भरी स्वर में बताया-"कल उनकी जेब से कंडोम का पैकेट मिला था. उनमे एक कम था. वो जो एक कम था वो उन्होंने अपनी गर्लफ्रेंड के आलावा किसपर कुर्बान किया होगा?"
नेहा के चेहरे पर गुस्से के भाव आये.
"I can`t beleave this."-गुस्से से वो बोली-" How cheap he is! इतना गिरा हुआ कोई आदमी कैसे हो सकता है! गर में नई-नवेली बीवी के होते हुए भी वो स्तुपिद बहार मुंह मरता फिर रहा है."
"मैं उनकी बीवी नहीं हूँ."-मैंने हताशा से कंधे झटके. परे देखने लगी. मन में डर था कहीं वो मेरी आँखों में वेदना को नोटिस न कर ले .
"क्या बात कर रही है!!!!!"-सदीद हैरानी का भाव था उसके स्वर में. उसका हाथ मेरे कंधे पर टिका हुआ था.-"ये कैसे हो सकता है?'
मैं उसके मुखातिब होकर सब बताती चली गयी.
वो हैरानी से मेरा चहरा देखती हुई सब सुनती रही. जब मैंने उसे सब कुछ बता दिया तब भी वो बस मेरा चेहरा देखती रही.एकदम चुप. बैडरूम के तनावपूर्ण माहौल में बाहर की बारिश का शोर गूँज रहा था.
"अब एक ही बैडरूम में सोते हो?"-उसने मुंह खोला.
"हाँ."
"एक बैड पर?"
"बताया तो है- हाँ."
"कमाल की विल पॉवर है बंदे में."- वो बोल पड़ी.-"तेरे जैसी हसीन लड़की के साथ वो पूरी रात रहता है और कुछ भी नहीं करता-this is amazing yaar."
मैं अंदर से जल गयी- कैसी कमीनी दोस्त है मेरी ये नहीं सोच रही कि मैं खुद को कैसे कंट्रोल कर रही थी.
" कुछ भी अमेजिंग कहाँ है, यार?"-मैंने फीकी मुस्कान के साथ कहा-"अगर भूख होगी तो ही मन बेकाबू होगा ना. साड़ी भूख तो गर्लफ्रेंड के सात शांत कर लेते है. फिर क्या रक पड़ता है की मैं रात भर आस-पास होती हूँ या नहीं."
चंद पल ख़ामोशी के बाद वो बोली-" यार तेरे याद है ना- एक बार तुने कहा था की तू तब पोर्न मूवी देखना पसंद करेगी जब तेरा स्पाऊज़ तेरे साथ होगा ताकिउसे देखकर जो आग तेरे बदन में लगेगी उसे शांत करवा सके. मैंने सोचा अब तो तुझपर प्यार की बरसात करने वाला मिल गया है. तो तुझे भी पोर्न मूवी दिखा दूं. वो नाइटी इस वजह से दी थी ताकि जब तू उसे पहनकर अपने मियां के सामने जायगी तो 'सबकुछ' झलकता देखकर वो दीवाना हो जायेगा.कंडोम का पैकेट ये इशारा किया था कि मजे इ चक्कर में पड़कर अभी से केयरलेस मत बन जाना और अभी से फेमिली शुरू मत कर देना. डॉटेड कंडोम से औरत को ज्यादा मजा आता है."
" चल छोड़ ये सब."-मैंने टॉपिक बदलने कि कोशिश की.-"कोई और बात सुना."
सचमुच ही हमने टॉपिक बदल भी लिया.
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